हिमाचल के शिमला में शिमला नागरिक सभा ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने के आदेश के खिलाफ सरकार को कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की मांग की है। सभा ने बताया कि इस आदेश से लाखों लोग प्रभावित हो रहे है। जिसको लेकर प्रभावित परिवारों को लामबंद किया जाएगा और इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
शिमला नागरिक सभा ने बताया कि एनजीटी ने जो तुगलकी फरमान भवन निर्माण के लिए दिया है वह जनता के हितों के खिलाफ है। इस मुद्दे पर आज शिमला में नागरिक सभा के बैनर तले सभी वर्गों का अधिवेशन बुलाया गया। नागरिक सभा ने बताया कि इस आदेश से शिमला की विकास की रेस रूक जाएगी।
शिमला की जनता का कहना है कि ,एनजीटी के निर्णय में बन चुके भवनों के निर्माण की जो फ़ीस रखी गई है वह बहुत ज्यादा है उसको चुका पाना शिमला की जनता के लिए मुश्किल होगा। क्योंकि लोन लेकर अधिकतर लोगों ने मकान बनाएं है। ढाई मंज़िल से ज्यादा भवन निर्माण नही होगा। ऐसे में स्मार्ट सिटी का 1500 करोड़ जो आना है उसका इस्तेमाल कैसे किया जाएगा। क्योंकि कोर एरिया में ही तो मल्टीप्लेक्स बिल्डिंग बननी है।
उन्होंने कहा कि ये लड़ाई नागरिक सभा की ही नही है बल्कि जनता और सरकार की भी है। सरकार न्यायालय में जाकर अपना पक्ष रख सकती है या केन्द्र सरकार के ध्यान में भी इस मामले को लाया जाए। लेकिन अभी तक सरकार इस मामले में असफल सिद्ध हुई है। यदि सरकार आगे भी इस मुददे पर उचित कदम नही उठाती है तो नागरिक सभा को कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़े लड़ी जाएगी।