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विमल नेगी मामले में सीबीआई जांच को सरकार का समर्थन, हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ नहीं जाएगी अपील में।
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मुख्यमंत्री सुक्खू ने भाजपा पर मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया, कहा—परिजनों की चिंता नहीं, सिर्फ़ सियासत।
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पुलिस अधिकारियों की आपसी खींचतान को सीएम ने माना, अनुशासनहीन अफसरों पर होगी कार्रवाई।
Blog: पराक्रम चंद
Vimal Negi Case: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित विमल नेगी मौत मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच की घोषणा के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस मामले पर विपक्ष भाजपा के लगातार हमलों का जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और स्थिति स्पष्ट की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करती है और मामले की सीबीआई जांच में पूरा सहयोग देगी। सरकार इस आदेश के खिलाफ अपील में नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि विमल नेगी के परिजनों को न्याय मिलना चाहिए और सच सामने आना चाहिए कि यह आत्महत्या थी या कोई और वजह।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा इस संवेदनशील मामले को राजनीतिक रंग दे रही है और पीड़ित परिवार के प्रति उसकी कोई वास्तविक सहानुभूति नहीं है। उन्होंने कहा कि जब परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया तो राज्य सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और मंत्री जगत नेगी के कहने पर एमडी और निदेशक पर कार्रवाई की गई। खुद मुख्यमंत्री ने विमल नेगी की पत्नी से फोन पर बात कर जांच का भरोसा दिलाया।
सुक्खू ने यह भी स्वीकार किया कि हाईकोर्ट में रिपोर्ट देते समय पुलिस विभाग के अंदर असहमति और खींचतान सामने आई। डीजीपी ने उन्हें एसआईटी को बदलने की सलाह दी थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया और कहा कि बेहतर होगा कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाए। सरकार अब इस पूरे मामले में अनुशासनहीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि ओंकार शर्मा की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी भी बनाई गई थी और एफआईआर भी दर्ज की गई, लेकिन रिपोर्ट तैयार करने में देरी हुई। इस बीच भाजपा पर मीडिया ट्रायल चलवाने का आरोप भी लगाया गया।
भाजपा सांसद हर्ष महाजन पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो व्यक्ति भ्रष्टाचार के वोटों से सांसद बना है, उसे नैतिकता की बात नहीं करनी चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि जब हर्ष महाजन को कांग्रेस सरकार के दौरान कोऑपरेटिव बैंक का चेयरमैन बनाया गया था, तब भाजपा ने उनकी नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती दी थी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार में किसी भी तरह की अनुशासनहीनता या राजनीतिक दवाब में जांच प्रभावित नहीं होगी।



