सरकारी हो या फिर निजी कॉलेज यहां स्टूडेंट्स को अपना हुनर और प्रतिभा दिखाने के लिए साल भर डांस हो, गायन हो या म्यूजिक से जुड़ी दूसरी चीजें सिखाने का काम किया जाता है. लेकिन फिर क्या वजह है कि जब यही प्रतिभा दिखाने के लिए जिला स्तर पर यूथ फेस्टिवल जैसे बड़े कार्यक्रम होते हैं. उनमें टीमें पूरी नहीं भेजी जाती है.
शनिवार को हमीरपुर के बाल सीनियर सेकेंडरी खेल मैदान में जिला युवा खेल सेवाएं विभाग द्वारा जिला स्तरीय यूथ फेस्टिवल का आयोजन किया गया. लेकिन इसमें सिर्फ चांद एक कॉलेजों की टीमों ने हिस्सा लिया.
हैरानी की बात है. बड़े-बड़े सरकारी कॉलेज में लंबे चौड़े म्यूजिक के डिपार्टमेंट होने के वाबजूद युवा सेवाएं विभाग द्वारा आयोजित यूथ फेस्टिवल में भाग नहीं लिया जा रहा है. जिला खेल अधिकारी ने भी कॉलेजों की टीमों की भागीदारी ना होने की बात मानी और इस व्यवस्था के खिलाफ कई सवाल उठाए हैं.
जिला खेल अधिकारी पूर्ण चंद कटोच ने कहा कि पूर्व में जिला स्तरीय यूथ फेस्टिवल में कॉलेज के छात्रों की भागीदारी अच्छी होती थी. लेकिन अब कुछ वर्षों से कॉलेज की टीम में भाग नहीं ले रही है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा स्वतंत्रता दिवस हुआ. गणतंत्र दिवस पर भी आयोजित कार्यक्रमों में कॉलेज से भागीदारी ना के बराबर हो रही है. उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि कॉलेज से सांस्कृतिक टीमों का ना आना दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि साल में सिर्फ एक बार जिला स्तरीय यूथ फेस्टिवल आयोजित होता है और ऐसे में कॉलेजों से प्रॉपर ढंग से सभी कैटेगरी में टीमें न होने का खामियाजा साल भर रियाज कर मेहनत करने वाले स्टूडेंट कलाकारों को ही हो रहा है.
गौरतलब है कि पिछले करीब 3 सालों से कोविड-19 इस तरह के कला से जुड़े बड़े आयोजन नहीं हो पाए. जिसका पहले ही स्टूडेंट्स ने खामियाजा गुप्ता है और अब जब ऐसे आयोजन हो रहे हैं. तो उन्हें टीमों को ना भेजा जाना कहीं ना कहीं बड़ा गलत संदेश भी दे रहा है.
ऐसे आयोजनों में स्टूडेंट्स को जहां काफी कुछ सीखने का मौका मिलता है. वहीं वे राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी कला की प्रतिभा का लोहा मनवाने आते हैं. कला से जुड़े गुरुओं को भी ध्यान में रखना होगा. जिला स्तरीय यूथ फेस्टिवल में संदेश कैटेगरी में ही टीमें पहुंची है.