<p>प्रदेश हाईकोर्ट ने कालका-शिमला नेशनल हाईवे के किनारे बनाए गए अवैध निर्माणों को अदालती आदेशों के बावजूद न हटाने पर कड़ा संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने अब कालका-शिमला नेशनल हाईवे के किनारे हुए अवैध निर्माण पर अफसरशाही को कटघरे में खड़ा किया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वो उन अफसरों के नाम बताए, जिनके कार्यकाल में एनएच पर अवैध निर्माण हुआ। अदालत ने कालका-शिमला नेशनल हाईवे के किनारों पर वर्ष 2015-2016 में हुए अवैध निर्माण की सारी रिपोर्ट तलब की है।</p>
<p>यही नहीं, हाईकोर्ट ने सख्त आदेश दिए हैं कि यदि 17 मई यानी गुरूवार तक सारी सूची नहीं दी गई तो विभाग के प्रधान सचिव को खुद अदालत में पेश होकर कारण बताना होगा। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने ये आदेश पारित किए हैं।</p>
<p>अदालत ने कहा कि 2 साल के अंतराल में एनएच के किनारे जितने भी अवैध निर्माण हुए हैं, उस दौरान जिम्मेदार अफसरों और कर्मियों के नाम कोर्ट में बताए जाएं। साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि ऐसे अफसरों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट ने कहा कि विभाग के अफसरों के होते हुए कैसे लोगों ने अवैध निर्माण किए? क्यों नहीं विभाग ने समय रहते कार्रवाई की।<br />
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हाईकोर्ट ने सभी संबंधित विभागों से पूछा था कि शिमला-कालका नेशनल हाईवे के दोनों तरफ निर्माण करने की इजाजत किस-किस को दे रखी है? कोर्ट ने विशेषकर बडोग बाईपास और उसके समीप सड़क मार्ग की पूरी जानकारी मांगी थी।</p>
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