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पानी की समस्या पर HC ने लिया संज्ञान, नगर निगम शिमला को लगाई लताड़

पी. चंद |

शिमला में पानी के लिए लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। जो नगर निगम शिमला और सरकार 24 घंटे पानी देने का वायदा कर सत्ता तक पहुंची आज पानी की किल्लत के चलते उसको जनाब देते नहीं बन रहा है। सरकार बैठकों के अलावा पानी की समाधान निकाल नहीं पाई है।

अब जाकर हाईकोर्ट को पानी की समस्या पर संज्ञान लेना पड़ा है। हाईकोर्ट ने पानी की किल्लत को लेकर निगम प्रशासन को लताड़ लगाई है और कहा है कि शिमला में पानी की उतनी कमी नहीं है लेकिन, निगम प्रसाशन और आईपीएच विभाग पानी का प्रबंधन करने में नाकामयाब साबित हो रहा है। अब इससे बड़ी शर्म की बात सरकार और निगम के लिए क्या हो सकती है।

नगर निगम का कारनामा, कर दी सीवरेज युक्त पानी की सप्लाई

वहीं, शिमला नगर निगम की लापरवाही का एक और कारनामा शिमला के कनलोग में देखने को मिला। जहां लोगों को सीवरेज युक्त पानी की सप्लाई दी गई। कनलोग वार्ड के कई घरों में गुरुवार को पानी की जगह सीवरेज की सप्लाई दी गई। सीवरेज के पानी से रात भर टंकियां भरती रही और सुबह जब लोगों ने पानी के नल खोले तो उसमें सीवरेज के पानी की सप्लाई आने से हड़कंप मच गया। लोगों ने तुरंत नगर निगम की मेयर से लेकर सभी अधिकारियों को फोन किए लेकिन मौके पर कोई नहीं पहुंचा। मोहल्ले में पूरे दिन सीवरेज के पानी की बदबू फैली रही।

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लोगों का कहना है कि नगर निगम नियमित तौर पर पानी की सप्लाई नहीं देता है। पुरानी पाइप लाइन होने की वजह से सीवरेज का पानी पीने के पानी वाली पाइप में मिल गया। अब लोगों को बीमारियां होने का डर सताने लगा है। शुक्रवार को मौके पर पहुंची नगर निगम शिमला की मेयर कुसुम सदरेट ने माना कि गलती उनकी ही है। पानी की सप्लाई में सीवरेज का पानी कहां से मिला इसका पता लगया जाएगा और लोगों को साफ पानी मुहैया करवाया जाएगा। इसके साथ ही पुरानी पाइप लाइन को बदलने का काम भी शुरू कर दिया गया है।

2016 में दूषित पानी से फैला था पीलिया

बता दें कि साल 2016 में भी शिमला में दूषित पानी की वजह से पीलिया फैल गया था। जिस वजह से 32 लोगों की मौत हो गई थी। पीलिया फैलने का मुख्य कारण सीवरेज के पानी की पीने के पानी में मिलावट का होना था। प्रदेश में सत्तर फीसदी पीने के पानी की पाइपें सीवरेज की लाइनों की साथ बिछी हुई हैं और इसके कारण हर साल पीलिया जैसे जल जनित रोग से दर्जनों लोग अपनी जान गवांने को मजबूर हैं। सरकार हर साल केवल जांच के दावे कर लीपापोती करती है और आलम ये है की लोग अब बेबस हो कर रहे गए हैं।