<p>हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों, विशेषकर सोलन जिला में डेंगू महामारी के फैलने की खबरों पर संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने आज यहां स्वास्थ्य विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा अन्य सम्बध विभागों के अधिकारियों की एक बैठक बुलाई।</p>
<p>स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि निश्चित तौर पर डेंगू एक भयावह महामारी है और विभाग ने इससे निपटने के लिए व्यापक प्रबन्ध किए हैं। राज्य के विभिन्न भागों में डेंगू की आशंका को लेकर 2,621 लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई हैं जिनमें से 401 मामले पॉजीटिव पाए गए हैं।</p>
<p>उन्होंने कहा कि अकेले सोलन जिला में डेंगू के 265 मामले पॉजीटिव पाए गए हैं और इनमें से अधिकांश मामले परवाणू, बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ (बीबीएनडीए) में कार्यरत प्रवासी मजदूरों में पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विभाग की सतर्कता के कारण डेंगू से अभी तक कोई भी मृत्यु नहीं हुई है।</p>
<p>मंत्री ने कहा कि प्रदेशभर में डेंगू की निशुल्क जांच की जा रही है और पॉजीटिव मामलों में रोगियों को निशुल्क दवाईयां और उपचार सुविधा प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि विभाग स्थानीय निकायों को संबंधित क्षेत्रों में स्प्रे करने के लिये निशुल्क फॉगिंग मशीनें उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने स्थानीय निकायों से अपील की है कि किसी भी स्थान पर पानी एकत्र न होने दें क्योंकि चार-पांच दिनों तक एक जगह पर ठहरा साफ जल भी डेंगू के मच्छर के पैदा होने का कारण बन सकता है।</p>
<p>स्वास्थ्य मंत्री ने इस सम्बन्ध में जिला प्रशासन सोलन को एसडीएम, तहसीलदार तथा नायब तहसीलदारों के विभिन्न दल गठित कर प्रभावित क्षेत्रों का व्यापक निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही हिमाचल प्रदेश महामारी डेंगू अधिनियम, 2017 को अधिसूचित किया है जिसमें स्वास्थ्य विभाग, औद्योगिक इकाईयों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, निरीक्षण अधिकारियों की भूमिका और दायित्वों का विस्तृत उल्लेख किया गया है। अधिनियम का उल्लंघन करने पर प्रत्येक मामले में 500 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।</p>
<p>स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड के सचिव को ओद्यौगिक इकाईयों से निकल रहे प्रदूषित तरल का समुचित निदान सुनिश्चित करवाने तथा पानी के एक जगह पर एकत्र होने को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों के सघन निरीक्षण के आदेश दिए हैं।</p>
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