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हाईकोर्ट ने IPS इल्मा अफरोज को बद्दी से ट्रांसफर करने की सरकार की दलील खारिज की।
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कोर्ट ने बद्दी के नए SP के लिए तीन IPS अफसरों का पैनल मांगा।
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इल्मा अफरोज के संघर्ष और उनकी सशक्त यात्रा की प्रेरणादायक कहानी।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने IPS अधिकारी इल्मा अफरोज को बद्दी से ट्रांसफर करने की सरकार की दलील को खारिज कर दिया है। पिछली सुनवाई में प्रदेश के गृह सचिव और डीजीपी ने कोर्ट में कहा था कि इल्मा ने स्वयं लिखित में यह दिया है कि वह बद्दी में काम नहीं करना चाहतीं और उनका स्थानांतरण कहीं और कर दिया जाए। कोर्ट ने इस दावे को खारिज करते हुए आदेश दिया कि बद्दी के नए एसपी के चयन के लिए सरकार तीन IPS अफसरों का पैनल प्रस्तुत करे। यह पैनल शुक्रवार को हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा, जिसके आधार पर कोर्ट मेरिट के अनुसार निर्णय लेगा।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार और जनता के बीच एसपी की नियुक्ति को लेकर अलग-अलग प्राथमिकताएं हैं। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति सत्येन वेद्य की डबल बेंच में हुई।
दरअसल, हाईकोर्ट ने नालागढ़ के एक यौन शोषण मामले की जांच के दौरान इल्मा अफरोज को बद्दी से ट्रांसफर करने पर रोक लगा रखी थी। सरकार इस रोक के चलते उनका ट्रांसफर नहीं कर पाई। इससे पहले इल्मा अफरोज और कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी के बीच टकराव तब बढ़ा जब इल्मा ने विधायक की पत्नी की गाड़ियों के माइनिंग चालान काटे। इसके बाद विधायक ने उनके खिलाफ विधानसभा से विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी जारी करवा दिया था।
इस बीच, इल्मा ने बद्दी में फायरिंग कांड के आरोपी राम किशन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, जो कथित तौर पर नेताओं का करीबी था। यह भी उनके और सरकार के बीच तनाव का कारण बना। नवंबर 2024 में इल्मा ने अचानक अपना सरकारी आवास खाली किया और अपनी मां के साथ उत्तर प्रदेश लौट गईं। हालांकि, वह 40 दिन बाद वापस शिमला मुख्यालय में अपनी ड्यूटी पर लौट आईं, लेकिन उन्हें बद्दी में तैनाती के आदेश का इंतजार करना पड़ा।
इल्मा अफरोज की संघर्षपूर्ण यात्रा और उनका IPS अधिकारी बनने का सफर प्रेरणादायक है। मुरादाबाद की एक छोटे से गांव से निकलकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई और UPSC परीक्षा पास करने तक की उनकी कहानी हर युवा को प्रेरित करती है।