हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय ने बुधवार को पार्टियों को शिमला नागरिक निकाय के अधिकार क्षेत्र की सीमा के भीतर विज्ञापन और होर्डिंग लगाने के संबंध में दिशा निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया। कोर्ट का यह आदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिमला में रैली के एक दिन बाद आया है। प्रधानमंत्री मोदी की रैली के दौरान शिमला का माल रोड और रिज मैदान होर्डिंग्स, पोस्टर, झंडे और बैनर से पटा हुआ था।
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति चंद्र भूषण बरोवालिया की खंडपीठ ने अनिल कुमार नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर ये आदेश पारित किए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि (प्रतिवादियों) राज्य के मुख्य सचिव, और एमसी शिमला के उपायुक्त ने राजनीतिक दलों को 2007 के नियम 9 का पूर्ण उल्लंघन करने दिया और उनके होर्डिंग लगाने की अनुमति दी, जबकि यह नियम शहर के विरासत क्षेत्र में विज्ञापनों की अनुमति नहीं देता है। नगर निगम शिमला के नियम 9 के मुताबिक राष्ट्रपति भवन से लेकर छोटा शिमला व माल रोड क्षेत्र में किसी भी तरह के होर्डिंग्स लगाने की मनाही है। इसी तरह से रिज मैदान पर विज्ञापन होर्डिंग लगाने पर पूर्ण प्रतिबंध है।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए एमसी शिमला और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की भी प्रार्थना की है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हिमाचल हाईकोर्ट ने कोर्ट में उपस्थित एसपी शिमला और आयुक्त को आदेश दिए कि वे शिमला शहर से विज्ञापन और होर्डिंग्स तुरंत हटाएं और इसकी अनुपालना रिपोर्ट 16 जून तक शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को सौंपे।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एसपी शिमला को फटकार लगाई जिसके बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और मामले को लेकर अज्ञात लोगों के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं। साथ ही प्रतिवादियों को भी निर्देश दिया गया है कि वे हिमाचल प्रदेश खुले स्थान (विरूपण निवारण) अधिनियम, 1985 के तहत की गई कार्रवाई के पूर्ण विवरण के साथ अनुपालन हलफनामा/स्थिति रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर दाखिल करें। मामले को 15 जून 2022 के लिए सूचीबद्ध किया गया है।