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बजट पर बहस: कांग्रेस ने केंद्र की अनदेखी, भाजपा ने राज्य सरकार की नाकामी गिनाई

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  • पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकार पर कर्ज बढ़ाने, भ्रष्टाचार और वादे पूरे न करने के आरोप लगाए।

  • कांग्रेस विधायक भवानी पठानिया ने केंद्र सरकार पर हिमाचल की मदद न करने का आरोप लगाया।

  • मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी।


Himachal Budget Session 2025: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन सत्ता और विपक्ष के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप हुए। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार, अराजकता और कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने गारंटियों के बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन अब सवा दो साल बीत जाने के बावजूद वे पूरे नहीं हुए।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की योजनाएं केवल दिखावे की हैं। राजीव गांधी स्टार्टअप योजना में सिर्फ 2 करोड़ रुपये देकर सरकार उपलब्धियों के दावे कर रही है। उन्होंने मक्का खरीद योजना, बागवानों की बकाया राशि और सरकारी योजनाओं की फंडिंग रोकने के मुद्दे उठाए। भाजपा सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि हिम केयर, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, शगुन, स्वावलंबन जैसी योजनाओं से हजारों परिवारों को लाभ मिला, लेकिन मौजूदा सरकार ने इन्हें ठप कर दिया है।

कांग्रेस विधायक भवानी पठानिया ने केंद्र पर लगाए आरोप


इस बीच, कांग्रेस विधायक भवानी पठानिया ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल को केंद्र से मिलने वाली सहायता रोक दी गई है, जिससे राज्य को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। पठानिया ने कहा, “हिमाचल खैरात नहीं मांग रहा, बल्कि अपने हक की मांग कर रहा है।” उन्होंने दावा किया कि भाजपा के चार लोकसभा और तीन राज्यसभा सांसद होने के बावजूद वे केंद्र से हिमाचल के लिए राहत राशि लाने में विफल रहे हैं।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछले साल आई आपदा में प्रदेश को 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, लेकिन केंद्र से अब तक कोई विशेष सहायता नहीं मिली है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने डॉ. मनमोहन सिंह को दी श्रद्धांजलि


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए देश को आर्थिक मजबूती मिली। उन्होंने मनरेगा जैसी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण भारत को सशक्त बनाया और हिमाचल में भी कई संस्थान स्थापित करवाए।

बजट सत्र के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष में जमकर बहस हुई, लेकिन प्रदेश के विकास और आर्थिक स्थिति पर दोनों पक्षों की अलग-अलग राय रही।