खुंभ अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) सोलन ने मशरूम की एक ऐसी प्रजाति तैयार करने में सफलता हासिल की है, जिसकी कीमत एक लाख रुपए प्रति किलो है. कीड़ा जड़ी (कोर्डिसेप) मशरूम को विकसित कर उत्पादकों को भी इसका प्रशिक्षण दिया गया है, जिसके बेहतरीन परिणाम सामने आ रहे हैं.
इस औषधीय मशरूम की राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में काफी डिमांड है और इसे सूखाने के बाद बेचा जाता है. शनिवार को डीएमआर में आयोजित राष्ट्रीय मशरूम मेले में भी कोर्डिसेप सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रही और सभी इसकी जानकारी जुटाते रहे. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह मशरूम मनुष्य के शरीर में रोगों से लडऩे की ताकत को बढ़ाती है.
इसके साथ ही थकान मिटाने में व स्टेमिना बढ़ाने में भी यह कारगर है. यही कारण है कि चीन के खिलाड़ी इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं. मशरूम मेले में अलगीगढ़ से आए लोकेश ने बताया कि उन्होंने कीड़ा जड़ी मशरूम लगाई है, लेकिन मशरूम लगाने के बाद अब इसकी मार्केट करना मुश्किल हो रहा है. डीएमआर विशेषज्ञों ने उन्होंने राय दी है कि कीड़ा-जड़ी मशरूम सबसे महंगी मशरूम है. उधर, पटना से आई उत्पादक जनक किशोरी ने बताया कि उन्होंने कोविड के बीच ऑनलाइन मशरूम उगाने का प्रशिक्षण लिया था. मार्केट के अनुसार कोर्डिसेप सबसे महंगी बिकने वाली मशरूम है. इसकी कीमत करीब एक लाख रुपए प्रति किलो है. निदेशालय द्वारा समय-समय पर कोर्डिसेप सहित अन्य मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण दिया जाता है.
AICC observers in Himachal Pradesh: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस…
Kangra District disaster management: हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कांगड़ा जिला को स्वयंसेवियों के…
Karcham-Sangla-Chitkul Road: जनजातीय जिला किन्नौर में चीन सीमा से सटी और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण…
Baba Balak Nath Temple Trust: पहले राशन घोटाला फिर बकरा निलामी पर किरकिरी और…
CPI(M) protest in Hamirpur: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने हमीरपुर में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, बिजली,…
Hati community tribal status: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाटी समुदाय को जनजाति दर्जा देने के…