हिमाचल

27 साल का हुआ हिमाचल दर्शन, बीते वक्त की बात हो जाने का बना खतरा

मंडी, 23 अप्रैल: पूरे देश में अपनी तरह की अनूठी हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी जिसमें एक प्रदेश को हर विधा से एक ही छत के नीचे देखा, समझा व पढ़ा जा सकता है, बुधवार को अपनी स्थापना के 27 साल पूरे कर रही है। 24 अप्रैल 1997 को स्थापित इस फोटो गैलरी का वर्तमान में अभूतपूर्व परिसर बन चुका है जिसमें जहां छायाचित्रों के माध्यम से पूरे प्रदेश को देखा जा सकता है। वहीं इसमें अब प्राचीन वस्तुओं का एक रोचक संग्रहालय भी स्थापित हो चुका है। गैलरी परिसर जहां प्राचीन बरसेले भी शोधकर्ताओं के शोध के लिए स्थापित किए गए हैं, वहीं हेरीटेज पुस्तकालय के साथ साथ अब इसे विडियो गैलरी भी बना दिया गया है जिसमें लोक गीत, मेले, त्यौहार, नृत्य व महत्वपूर्ण स्थलों को देखा जा सकता है। इस फोटो गैलरी में अब तक पांच लाख से अधिक दर्शक आ चुके हैं।

छायाकार व संस्थापक बीरबल शर्मा ने बताया कि फोटो गैलरी के फिर से मिट जाने का खतरा पैदा हो गया है। 2018 में विस्थापन का दंश झेलने के बाद लगातार पांच साल के प्रयास से जब इसे फिर से बेहद आकर्षक, विस्तारित व ज्यादा जानकारी के साथ बनाया गया तो अब पठानकोट मंडी फोरलेन के लिए इसे अधिग्रहित किया जा रहा है। ऐसे में बिना कोई पूर्व सूचना दिए या आगाह किए वगैर अब बार बार विस्थापन का दंश झेलना संभव नहीं है। बीरबल शर्मा ने बताया कि इसे बचाने के लिए हर दरवाजे पर दस्तक दी गई मगर असफलता ही हाथ लगी। उन्होंने बताया कि अब वर्तमान हालातों में जमीन की आसमान को छूती दरों, मुआवजा राशि बेहद कम मिलने व पहले जैसा जुनून व उम्र न रहने के चलते शायद इसे फिर से बनाया जा सकेगा।

ऐसे में वह सरकार को एक पत्र लिख कर आग्रह करने जा रहे हैं इसके सारे संकलन या जो जरूरी समझते हैं उसे अपने अधीन लेकर मंडी में ही किसी जगह पर इसे स्थापित कर दिया जाए ताकि मंडी में भी एक संग्रहालय किसी ने किसी रूप में रह जाए। उनके अनुसार 27 साल में जो देश विदेश के दर्शकों ने अपने भ्रमण के दौरान टिप्पणियां की हैं वह इस बात का साक्षात प्रमाण है कि यह प्रयोग बेहद सफल हुआ है और ऐसा पूरे देश में कहीं नहीं है जिसमें एक ही जगह पर पूरे प्रदेश को हर तरह से देखा समझा व पढ़ा जा सकता हो।

भरे मन से उन्होंने कहा कि जिस संग्रहालय को उन्होंने कालांतर तक बनाए रखने का सपना संजोया था व कथित विकास की आड़ में खत्म किया जा रहा है और हैरानी व दुख की बात  यह है कि हमारे राजनेता, हुक्मरान, अधिकारी व संस्कृति के संरक्षण में लगे प्रभावशाली लोग भी इस धरोहर को बचाने में मदद नहीं कर पाए। ऐसे में इस साल के अंत में मंडी के इस संग्रहालय का नाम सदा सदा के लिए खत्म हो जाने की पूरी आशंका बनी है और इस व्यवस्था के आगे विवश हैं।

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