● हिमाचल किसान सभा ने उठाई किसानों की नियमितीकरण, मुआवजा और सब्सिडी बहाली की मांग
● मंडी जिले में अस्पताल, बस सेवा, सड़कों और स्कूलों की हालत पर जताई चिंता
● 9 जुलाई को मजदूर संगठनों के साथ संयुक्त प्रदर्शन की घोषणा
विपलव सकलानी, मंडी
हिमाचल किसान सभा की मंडी जिला कमेटी की बैठक किसान सभा कार्यालय में संपन्न हुई, जिसमें प्रदेश की किसान विरोधी नीतियों, आर्थिक संकट और जनसेवाओं की बदहाली पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। बैठक की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्वाज ने की और इसमें कई वरिष्ठ किसान नेता मौजूद रहे।
बैठक में स्पष्ट किया गया कि किसानों की ज़मीन और मकानों का मालिकाना हक तत्काल दिया जाए और 5 बीघा तक की जमीन को मुफ्त में नियमित किया जाए। प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों व किसान सभा की मांगों के आधार पर भूमि अधिग्रहण मामलों में उचित मुआवजे के लिए फैक्टर-2 लागू करने, टमाटर का समर्थन मूल्य घोषित करने, और बंद की गई सब्सिडियों की बहाली की मांग की गई।
साथ ही, रसोई गैस और बस किराए में वृद्धि को तत्काल वापस लेने, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों व स्टाफ की कमी को दूर करने, पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने, बसों की उपलब्धता बढ़ाने और सड़कों की मरम्मत के लिए कदम उठाने की मांग भी सामने रखी गई। बैठक में कून का तर में ट्रैफिक ब्रिज निर्माण को शीघ्र पूरा करने पर भी बल दिया गया।
कुशाल भारद्वाज ने केंद्र और राज्य की सरकारों की नव उदारवादी नीतियों को जनविरोधी बताया। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के कारण महंगाई, बेरोजगारी और भूखमरी बढ़ी है, और सरकारें संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर हिमाचल की विशेष श्रेणी की स्थिति छीनने, राजस्व घाटा अनुदान घटाने और वन भूमि पर अधिकार छीनने के गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने नई शिक्षा नीति, बिजली के निजीकरण और स्मार्ट मीटर योजना के खिलाफ भी तीखा विरोध जताया और कहा कि कांग्रेस व भाजपा मिलकर जनविरोधी कदमों को लागू कर रही हैं।
किसान सभा ने 20 मई की ट्रेड यूनियन हड़ताल को समर्थन देते हुए 9 जुलाई को मंडी, जोगिंदर नगर, सरकाघाट, बालीचौकी और जंजैहली में संयुक्त प्रदर्शन करने का एलान किया, जो मजदूर संगठनों के साथ मिलकर किया जाएगा।



