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रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने पर कैबिनेट में मंथन, पेंशन पर राहत की तैयारी, दो दिन चलेगी मैराथन बैठक

  • सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 59 वर्ष करने पर चर्चा

  • कॉन्ट्रैक्ट की जगह प्रोबेशनरी या ट्रेनी पॉलिसी लागू करने का प्रस्ताव

  • करुणामूलक नौकरियों के लंबित मामलों के निपटारे पर कैबिनेट में मंथन


Himachal Cabinet decisions: हिमाचल प्रदेश सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में सोमवार से दो दिवसीय कैबिनेट बैठक शुरू हो गई, जो कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार लगातार दो दिन तक चलेगी। इस बैठक में कुल करीब 140 एजेंडा आइटम्स पर चर्चा होगी, जिसमें आर्थिक सुधार, सरकारी भर्तियों की नीति, सेवानिवृत्ति आयु और करुणामूलक नौकरियों जैसे अहम विषय शामिल हैं।

कैबिनेट सब-कमेटी की सिफारिशों के आधार पर राज्य सरकार सेवानिवृत्ति की उम्र 58 से बढ़ाकर 59 वर्ष करने पर विचार कर रही है। इसका मकसद सरकारी पेंशन देनदारियों को फिलहाल एक साल के लिए टालना है, जिससे लगभग 3000 करोड़ रुपए की फौरी राहत सरकार को मिल सकती है। हालांकि इस निर्णय से बेरोजगार युवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, इसलिए इस पर विस्तृत चर्चा के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह कदम पूर्व वीरभद्र सरकार द्वारा लिए गए एक समान निर्णय की पुनरावृत्ति भी हो सकता है।

वित्तीय दबाव को कम करने के लिए 40 प्रतिशत कम्युटेशन बंद करने का प्रस्ताव भी एजेंडे में है, जिससे रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को मिलने वाली अग्रिम पेंशन राशि रोकी जा सकती है। यदि यह निर्णय लिया गया, तो कर्मचारियों को पेंशन का बड़ा हिस्सा एकमुश्त नहीं मिलेगा, जिससे राज्य की तत्कालिक वित्तीय स्थिति में राहत मिलेगी।

नई भर्तियों को लेकर 2003 की कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी को समाप्त कर प्रोबेशनरी या ट्रेनी पॉलिसी लागू करने पर विचार किया जा रहा है। प्रस्ताव के अनुसार चयनित अभ्यर्थियों को 5 वर्षों तक प्रोबेशनरी या ट्रेनी के रूप में न्यूनतम वेतन पर रखा जाएगा। यह पॉलिसी अनुबंध नीति की तरह ही कम वेतन वाली प्रणाली होगी, लेकिन नाम और संरचना में बदलाव लाया जाएगा।

राज्य चयन आयोग द्वारा विभिन्न पदों के लिए मांगी जाने वाली आवेदन फीस को लेकर भी निर्णय संभावित है, जिससे भर्ती प्रक्रियाओं में स्पष्टता और मानकीकरण आएगा। इसके अतिरिक्त करुणामूलक नौकरियों के लंबित मामलों के निपटारे पर भी गंभीर चर्चा होगी। सीएम सुक्खू ने विधानसभा में इस मुद्दे को प्राथमिकता पर निपटाने का भरोसा दिलाया था।

दो दिन चलने वाली यह मैराथन मीटिंग प्रदेश सरकार की वित्तीय अनुशासन, रोजगार नीति और प्रशासनिक दक्षता को नया स्वरूप देने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है।