प्रदेश सरकार ने हाल ही में छठे वेतन आयोग को लागू करने का फैसला तो ले लिया पर सरकारी कर्मचारियों को इसका लाभ देने के लिए हिमाचल को 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ रहा है। विकास कार्यों के नाम पर लिया जा रहा इस कर्ज की अधिसूचना वित्त मंत्रालय के प्रधान सचिव प्रबोध सक्सेना ने जारी कर दी है।
सरकार ने 500 करोड़ रुपये की दो अधिसूचनाएं जारी की हैं। इस को 2031 और 2033 तक सरकार को वापस करना होगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले ही बता चुके हैं कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए प्रदेश सरकार के ऊपर 4,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा। पंजाब में छठे वेतन आयोग को लागू करने के बाद हिमाचल में सराकरी कर्मचारियों को नया वेतनमान देने का दबाव सरकार पर बढ़ता जा रहा था। इसलिए सरकार ने छठे वेतन आयोग को लागू करने का फैसला लिया। अब इसकी वजह से प्रदेश के ऊपर कर्ज को बोझ और बढ़गया है।
पिछले चार महीनों में 4,000 करोड़ रुपये लिया कर्ज
प्रदेश सरकार 26 अगस्त से अब तक 4,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। 26 अगस्त 2021 को 1,000 करोड़ कर्ज की अधिसूचना वित्त मंत्रालय ने जारी की थी। इसके बाद 18 नवंबर 2021 को 500 करोड़ की चार अधिसूचनाएं जारी की गई थी। यानी की 2,000 करोड़ का कर्ज लिया गया था। और अब ये 1,000 करोड़ रुपये का ऋण। प्रदेश के ऊपर अब 65,000 करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका है।
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