<p>राजधानी शिमला में कोर, ग्रीन और फॉरेस्ट एरिया में निर्माण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। राज्य सरकार एनजीटी के फैसले के खिलाफ अपील दायर करेगी। सरकार की इस संदर्भ में गठित हाई लेवल कमेटी ने सोमवार को ये फैसला लिया है। यहां बता दें कि एनजीटी ने शिमला में निर्माण को लेकर अनेक शर्तें लगाई थीं और कोर, ग्रीन तथा फॉरेस्ट एरिया में नियमों के खिलाफ हुए निर्माण को गिराने के आदेश दिए थे।</p>
<p>एनजीटी के फैसले के बाद से ही इसका विरोध हो रहा था। सोमवार को हाई लेवल कमेटी ने तय किया कि इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। सरकार की तरफ से गठित कमेटी की बैठक में विधि सचिव बलदेव सिंह, टीसीपी निदेशक संदीप कुमार, नगर निगम शिमला के आयुक्त जीसी नेगी और अन्य संबंधित विभागों के उच्च अधिकारी शामिल थे।</p>
<p>वहीं, कमेटी ने सभी संबंधित विभागों से मंगलवार तक ये जानकारी मांगी गई है कि उन पर एनजीटी के फैसले का क्या असर है? यहां बता दें कि इसी मसले पर इससे पहले शनिवार को राज्य सरकार के मुख्य सचिव वीसी फारका की अध्यक्षता में भी बैठक हुई थी। तब ये तय किया गया था कि सोमवार को कानूनी पहलुओं पर विचार के लिए बैठक बुलाई जाए।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>एनजीटी के ये थे आदेश</strong></span></p>
<p>एनजीटी ने हाल ही में 16 नवंबर को दिए 165 पेज के आर्डर में शिमला के कोर, ग्रीन और फॉरेस्ट एरिया में किए गए अवैध निर्माणों को तोडऩे के लिए कहा है। यहां अवैध निर्माण नियमित करने के लिए आवासीय भवन के लिए 5000 रुपए और व्यावसायिक भवन के लिए 10000 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से पर्यावरण मुआवजा अलग से देने के आदेश हैं।</p>
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