राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने युवाओं का आहवान किया कि देवभूमि हिमाचल की पवित्रता को बनाये रखने के लिए नशे से दूर रहें और प्रतिज्ञा लें कि नशा नहीं करेंगे। राज्यपाल आज सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में छात्रों, प्राध्यापकों और कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व, उन्होंने 75 लाख रुपये की लागत से पहाड़ी शैली में निर्मित विश्वविद्यालय के मुख्य प्रवेशद्वार का उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय की अंतर कालेज खेलकूद प्रतियोगिता का शुभारम्भ भी किया। हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार के योगदान को याद करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने हिमाचल के विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य किया। उन्होंने इस संस्थान से जुड़े लोगो से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए कार्य करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिमाचल की सेब राज्य के रूप में देश-विदेश में पहचान है।
शिक्षा, शोध व प्रसार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि बागवानी व सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास में इस विश्वविद्यालय ने सक्रिय भूमिका निभाई है और अपनी स्थापना की प्रासंगिकता को साबित किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को सेब राज्य के रूप में पहचान दिलाने में भी विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की शैक्षणिक संस्थानों की अटल रैंकिंग के तहत वर्ष 2021 में इस विश्वविद्यालय को प्रोमिसिंग बैंड में 11वां स्थान प्राप्त हुआ है। वर्ष 2022 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा भी देश के 72 कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिग में इस विश्वविद्यालय को 22वां स्थान प्रदान किया। उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि हाल ही में न्यूयॉर्क में आयोजित ग्रीन स्कूल कॉन्फ्रेंस में विश्वविद्यालय को इंटरनेशनल ग्रीन यूनिवर्सिटी अवार्ड-2022 से नवाजा गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।
शुक्ल ने कहा कि शिक्षण कार्य के साथ-साथ यहां खेलकूद व अन्य गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं और यहां अध्ययनरत लोकेश भनोट और संध्या जैसे छात्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्वविद्यालय में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा वित्त-पोषित 99.41 करोड़ रुपये की 89 परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं, जिनमें से 2022-23 में 9.92 करोड़ रुपये की 28 परियोजनाएं प्राप्त की गई हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय को अनुसंधान, नवोन्मेष और तकनीक के माध्यम से किसानों को अच्छी और कम लागत की तकनीक उपलब्ध करवाने पर बल दिया। उन्होंने मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर वैज्ञानिको से अपील की कि वे बागवानों को प्राकृतिक कृषि अपनाने के लिए प्रेरित करें।
राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती के अंतर्गत कुछ फसलों की उत्पादन विधि का मानकीकरण किया गया है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्राकृतिक खेती के अंतर्गत अन्य फसलों के मॉडल भी तैयार किए जाएं। उन्होंने विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रदेश की पहली प्राकृतिक खेती पर आधारित किसान उत्पादकता कम्पनी का गठन करने और इस कम्पनी से ‘बी’ और ‘सी’ ग्रेड के सेब का प्रसंस्करण विश्वविद्यालय में होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक शोध को प्रयोगशालाओं तक सीमित न रखकर इसे बागवानों तथा खेतों तक ले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने सघन अनुसंधान की आवश्यकता पर भी बल दिया तथा कहा कि आज के बदलते परिवेश में कार्यों में तेजी व गुणवत्ता लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए। इससे पूर्व, राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की नई गतिशील वेबसाइट का शुभारम्भ किया और छः विभिन्न प्रकाशनों का भी विमोचन किया।
डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने राज्यपाल को सम्मानित कर उनका स्वागत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों और उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि न केवल विश्वविद्यालय में बल्कि इससे सम्बद्ध चार महाविद्यालयों में 300 विद्यार्थी 17 विभिन्न विषयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय समाज के साथ जुड़कर कार्य कर रहा है।
पद्मश्री विद्यानंद सरैक, विधायक विनोद सुल्तानपुरी और अजय सौलंकी, पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप, सोलन के उपायुक्त मनमोहन शर्मा, पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र शर्मा, जिला प्रशासन के उच्च अधिकारी, चार महाविद्यालयों से प्रतियोगिता में भाग ले रहे छात्र-छात्राएं, विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
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