Himachal Bhawan auction dispute: नई दिल्ली स्थित हिमाचल भवन की कुर्की रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने 64 करोड़ रुपये का अपफ्रंट प्रीमियम जमा कर दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने हिमाचल हाईकोर्ट में एक अर्जी दायर कर पिछले आदेशों को वापस लेने का आग्रह किया है। यह मामला हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत में विचाराधीन है।
हाईकोर्ट ने सेली कंपनी को 64 करोड़ रुपये का अपफ्रंट प्रीमियम 7% ब्याज के साथ भुगतान न करने पर उतनी ही संपत्ति के हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया था। यह आदेश याचिका दायर होने की तारीख से लागू किया गया था। अब सरकार द्वारा राशि जमा करने के बाद भवन की नीलामी पर रोक लग गई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में सरकार ने 320 मेगावाट का बिजली प्रोजेक्ट लाहौल-स्पीति में सेली कंपनी को आवंटित किया था। इसके तहत बीआरओ को सड़क निर्माण कार्य सौंपा गया था और सरकार को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करनी थीं। लेकिन सुविधाएं समय पर उपलब्ध न होने के कारण कंपनी को प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा और इसे वापस सरकार को सौंप दिया गया।
इसके बाद सरकार ने कंपनी का अपफ्रंट प्रीमियम जब्त कर लिया, जिसके खिलाफ कंपनी ने 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सरकार को कंपनी को 64 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ सरकार ने एलपीए दायर की है। मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी।