हिमाचल प्रदेश में योजना क्षेत्र में निर्माण कार्य पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक के फैसले को लेकर जयराम सरकार फिलहाल सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी। सरकार इस मामले में पहले एनजीटी में होने वाली सुनवाई का इंतजार करेगी। हिमाचल सरकार ने इस केस में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल न करने का ऐलान किया है।
हाल ही में एनजीटी में प्लानिंग एरिया में निर्माण कार्य पर रोक संबंधी फैसले में सुनवाई हुई है। एनजीटी ने कहा है कि इस केस की सुनवाई चार सदस्यों वाली खंडपीठ करेगी। यहां बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में इस विषय पर सवाल आया था। जवाब में जयराम सरकार की शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने कहा था कि सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी।
कारण बताया गया था कि एनजीटी में जिस बैंच में केस लगा था, उसके दो सदस्य सेवानिवृत हो चुके हैं। अब एनजीटी ने कहा है कि मामले की सुनवाई चार सदस्यीय खंडपीठ करेगी, लिहाजा हिमाचल सरकार फिलहाल सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी।
यहां उल्लेखनीय है कि हिमाचल में 30 हजार भवन टीसीपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) के नियमों के खिलाफ बने हैं। उनमें से अधिकांश शिमला शहर में हैं। वीरभद्र सिंह सरकार के समय प्रदेश में टीसीपी नियमों में संशोधन किया गया था। उस नीति के अनुसार नियमों के खिलाफ बने भवनों को नियमित किया जाना प्रस्तावित था। निर्माण कार्य को नियमित करने के लिए भवन मालिकों को तयशुदा फीस चुकानी थी।
उधर, एनजीटी ने भी प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिला निर्माण पर रोक लगाई है। इस मामले पर बीजेपी – कांग्रेस, दोनों ही दल प्रदेश की जनता को राहत दिलाने की बात करते आए हैं। पिछली सरकार में भी टीसीपी संशोधन बिल पास किया गया था।