हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों की सैलरी संबंधी मामले में बड़ा फैसला लिया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अजय मोहन गोयल की बैंच ने लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज और अस्पताल मंडी में तैनात नर्सों की तरफ से 7 महीनों से सैलरी न मिलने को लेकर लिखे पत्र पर दर्ज जनहित याचिका का निपटारा करते हुए प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि सरकारी कर्मचारियों को समय पर सैलरी दें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कर्मचारियों को ब्याज समेत सैलरी देनी होगी।
हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश
- हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि जल्द से जल्द ऐसा कारगर तरीका तैयार करे, जिससे बिना देरी अपनी तनख्वाह और अन्य क्लेम (दावे) मिल सकें।
- प्रधान सचिव अथवा सचिव स्तर पर एक वेबपोर्टल तैयार करें, जहां कर्मचारी अपनी शिकायतें दर्ज कर सके और 1 हफ्तें में शिकायतों का निपटारा एक सप्ताह में हो सके।
- सभी विभागों और संस्थानों के मुखिया को समय पर कर्मचारियों की तनख्वाह देने का आदेश। ऐसा न होने पर सरकार को ब्याज सहित देय राशि संबंधित कर्मचारी को देनी होगी।
- देरी से वेतन मिलने की शिकायत मिलते ही 30 दिनों के भीतर दोषी का पता लगाने के लिए जांच पूरी करे और दोषी से ब्याज की रकम वसूल करें।
- अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि वे चार सप्ताह के भीतर इन आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करे।
कोर्ट ने बतायी कि सैलरी कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है और सरकार का संवैधानिक दायित्व है। साथ ही कोर्ट ने दुख जताया कि इस तरह के मामलों के लिए कोर्ट आना पड़ता है। कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार ही अपने कर्मियों को तनख्वाह समय पर नहीं देगी तो निजी व्यवसायी सरकार से क्या सीखेंगे।