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10 महीने से पेंडिंग पड़ा JBT के 700 पदों पर रिजल्ट, प्रशिक्षुओं में भारी रोष

नवनीत बत्ता |

जेबीटी के 700 पदों पर रिजल्ट लगभग 10 महीने से पेंडिंग पड़ा है, जिसके चलते टैट मेरिट प्राप्त प्रशिक्षुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशिक्षुओं ने का कहना है कि विभाग भर्ती को रद्द करने की कोशिश कर रहा है, जबकि रूल्स में बदलाव होने का कोई भी असर पिछले रूल्स पर नहीं पड़ रहा। बकायदा ट्रिब्यूनल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी इस रुख साफ कर चुके हैं, लेकिन फिर कुछ अधिकारी हाईकोर्ट में केस की डेट को लग़ातार बढ़ा रहे हैं।

रोष व्यक्त करते हुए प्रशिक्षुओं ने कहा कि वे मानसिक रूप से परेशान हो चुके हैं। 2017 में जारी विज्ञापन के चलते प्रशिक्षुओं ने अपनी निजी नौकरियां छोड़कर भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया  और हजारों को खर्च उठाया। बाद में इसे लेकर हाईकोर्ट में केस दर्ज करवा दिया गया, जिसका ख़ामियाज़ा प्रशिक्षुओं को भुगतना पड़ रहा है।

प्रशिक्षुओं के मुताबिक, 2017 में जेबीटी के 700 पदों को टैट मेरिट के आधार पर भरने की नोटिफिकेशन जारी हुआ था। इस भर्ती प्रक्रिया को 2012 में टैट मेरिट के आधार पर बने नियमों के तहत 31 जुलाई 2017 तक पूरा किया गया, लेकिन 22 सिंतबर 2017 को नई भर्ती रूल्स बनाए गए और पुराने नियम 30 अगस्त को निरस्त कर दिए गए। नए नियमों को 29 सितंबर 2017  को क्लाउस-1(2) राजपत्र में शामिल किया गया और साफ कहा गया कि ये रूल्स राजपत्र में शामिल होने के बाद ही प्रवृत होंगे।

प्रशिक्षुओं ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट भी अपने एक फैसले में इस सम्बन्ध में यह स्पष्ट कर चुका है कि भर्ती के बीच में नए भर्ती नियम लागू नहीं किये जा सकते हैं। अब हाई कोर्ट में तारीख पर तारीख मिलने पर इस सम्बन्ध में कोई उचित फैसला नहीं लिया जा रहा है। इस सम्बन्ध में अगली सुनवाई 19 जून को रखी गई है। जबकि इससे पहले ट्रिब्यूनल कोर्ट में इस मामले पर हरी झंडी 2018 को मिल चुकी है।

इन सब के बावजूद भी नियमों को लागू के लिए केस करने का कोई भी औचित्य नहीं बनता। ये भर्ती को रोकने की साजिश है। 2016 में बाकी 8 जिलों में 600 पद भरे जा चुके हैं, जबकि कांगड़ा, ऊना, कुल्लू और किन्नौर में 2012 के बाद कोई भर्ती नहीं हुई। अब जब भर्ती हुई तो विभाग के लोग इसे रद्द करने में कोई क़सर नहीं छोड़ रहे। उनका ये भी कहना है कि यदि टैट मेरिट आधार पर हुई काउंसलिंग प्रक्रिया को रद्द कर नया विज्ञापन जारी किया गया तो उनके साथ अन्याय होगा और अगर उन्हें न्याय न दिया गया तो आत्मदाह करने को मजबूर होंगे।