विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर के अधीन प्राचीन एवं ऐतिहासिक टेढ़ा मंदिर आज राजनैतिक अनदेखी और अपेक्षा का शिकार होकर रह गया है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर साल यहां पर माथा टेकने के लिए आते हैं परंतु मंदिर न्यास ज्वालामुखी के सौजन्य से उन्हें कोई भी सुविधा यहां उपलब्ध नहीं होती है. गनीमत इतनी है कि इस मंदिर को जाने वाले सभी रास्तों की हालत जर्जर अवस्था में है.
चाहे सडक़ मार्ग हो या सीडिय़ों से मंदिर तक पहुंचना हो दोनों रास्तों की हालत अत्यंत खराब है. जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. गर्मियों के दिनों में तो श्रद्धालुओं के पांव तक जल जाते हैं. श्रद्धालु ज्वालामुखी मंदिर के पीछे ही अपने जूते उतारकर मुख्य मंदिर तक पहुंचते हैं और उसके उपरांत मंदिर के अंदर से ही तारा देवी मंदिर से होते हुए भैरव मंदिर और टेढ़ा मंदिर को निकलते हैं. मंदिर प्रशासन की तरफ से इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है. स्थानीय लोगों ने कई बार मंदिर प्रशासन को यहां पर सेड बनाने के लिए मांग की परंतु कोई सुनवाई नहीं होती है.
श्रद्धालुओं के लिए रास्ते में कहीं पर भी पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. कहीं पर भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है. कहीं पर भी रेन शेल्टर नहीं बनाए गए हैं जो लाइट यहां पर राज्यपाल शासन में लगाई गई थी वह भी लाइटें खराब पड़ी है. टेढ़ा मंदिर के पास सराय बनाने का प्रावधान था परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई.