लंपी वायरस राजस्थान में बेजुबानों पर कहर बनकर टूट रहा है. लंपी वायरस के चलते प्रदेश में लगातार गायों की मौत हो रही है. वहीं, पशु पालक परेशान है. हालांकि सरकार हर मुमकिन कोशिश कर लंपी वायरस पर नियंत्रण करने का प्रयास कर रही है.
हिमाचल में भी लंपी वायरस के बढ़त मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है. पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने लंपी वायरस से पशुओं को बचाने के लिए टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की है. प्रदेश के सात जिलों में 1357 पशु संक्रमण की चपेट में आए हैं जबकि 79 मारे गए हैं. वीरेंद्र कंवर ने बताया कि हिमाचल सहित गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान व हरियाणा में यह रोग पशुओं में तेजी से फैल रहा है. सरकार ने अन्य राज्यों से पशुओं को हिमाचल लाने व ले जाने पर भी रोक लगा दी है.
सिरमौर जिला में सबसे अधिक 45 पशुओं की इस बीमारी से मौत हो चुकी है. शिमला में 18, सोलन में नौ व ऊना में छह पशुओं की लंपी वायरस से पीडि़त होने पर मौत हुई है. इस बीमारी से पीडि़त मवेशियों में सिरमौर में 482, सोलन 150, ऊना 339, शिमला 293 व बिलासपुर में 19 मामले सामने आए हैं. कांगड़ा जिला में लंपी वायरस से 61 गाय और भैंस संक्रमित हैं.
पशुओं की बीमारी का पता चलते ही सरकार ने उस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित करने का प्रविधान किया है. शिमला शहर के साथ लगते पंथाघाटी में 22 जून को लंपी वायरस का पहला मामला आया था. इस क्षेत्र का पशुपालक पंजाब से गाय लेकर आया था, जिसमें लंपी वायरस था. सिरमौर जिला के सीमावर्ती क्षेत्र में 25 जून को गुर्जरों के पशुओं में यह वायरस सामने आया था.