कार्पोरेट सेक्टर के सेवानिवृत कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री व गृह मंत्री को उपायुक्त मंडी के माध्यम से एक ज्ञापन भेज कर मांग उठाई है कि उनकी पेंशन को बहाल किया जाए. बुधवार को हिमाचल प्रदेश राज्य कार्पोरेट सेक्टर सेवानिवृत कर्मचारी कमेटी के प्रधान कन्हैया लाल वर्मा की अगुवाई में यह ज्ञापन दिया गया. इस मौके पर बड़ी संख्या में कार्पोरेट से सेवानिवृत कर्मचारी उपायुक्त कार्यालय पहुंचे थे.
ज्ञापन में प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री के ध्यान में यह बात लाई गई कि प्रदेश में विभिन्न निगमों व बोर्डो में 39072 कर्मचारी कार्यरत थे जिनमें से 32242 कर्मचारी जो बिजली बोर्ड, परिवहन निगम, शिक्षा बोर्ड व म्युनिसिपल निगम को तो पैन्शन की सुविधा सरकारी कर्मचारियों की तरह मिल रही है परन्तु अन्य बचे 20 निगमों व बोर्डो के 6730 कर्मचारियों को पैन्शन की सुविधा नही मिल रही है जो कि बचे हुये कर्मचारियों के साथ अन्याय है . इन कर्मचारियों के ईपीफ से 1000 रुपये से 3000 रुपये की मामूली सी पेंशन मिल रही है.
ज्ञापन में बताया गया कि वर्ष 1999 में तत्कालिन भाजपा सरकार के समक्ष यह मुद्धा उठाया गया तथा उस समय की आपकी भाजपा सरकार ने उदारता दिखाते हुये 29-10-1999 को अधिसूचना जारी की जिसके तहत सभी निगमों व बोर्डाें के बचे हुये कर्मचारियों को भी पैन्शन नियम 1972 के अनुसार सरकारी कर्मचारियों की भान्ति पैन्षन देने के आदेश दिये गये . वर्ष 2004 में काग्रेंस सरकार जब सत्ता में थी तब उन्होंने कर्मचारी विरोधी परिचय देते हुये 2-12-2004 की अधिसूचना के द्वारा 29-10-1999 की अधिसूचना को रद् कर दिया ऐसा करने से 01-04-1999 से 2-12-2004 के मघ्य जो कर्मचारी सेवानिवृति हुये उन्हें तो पैन्शन नियम 1972 के तहत पूर्ण पैन्शन मिल रही है परन्तु अन्य बचे हुये लगभग 6730 कर्मचारी जो 2-12-2004 के बाद सेवानिवृत हुये, पैन्षन से वंचित हो गये है. इन कर्मचारियों को ई0पी0फ0 से 1000- से 3000 रूपये प्रति माह पैन्शन मिल रही है .
इस ज्ञापन में यह भी बताया गया कि सरकार यदि पैन्शन बहाल करती तो सरकार पर कोई बहुत बड़ा वित्तीय बोझ नही पडे़गा क्योंकि ईपीफओ के पास इन कर्मचारियो का पैन्शन फंड जो काफी मात्रा में है वह सरकार को वापिस आयेगा तथा सरकार को इस फंड को चलाने के लिये कुछ वित्तीय सहायता भी देनी होगी. हिमाचल की सरकार द्वारा वर्ष 2007 व 2017 के अपने विजन डाक्यूमैंट में यह भी सम्मिलित किया गया था कि सरकार बनने पर निगमों व बोर्डों की पैंशन को पुनः बहाल किया जायेगा, परन्तु खेद है कि भाजपा सरकार द्वारा अभी तक कोई भी कार्रवाही नही की गई. इस विषय में प्रदेश के मुख्यमन्त्री, विधायक तथा पार्टी के पदाधिकारियों ने जेपी नड्डा व मंत्री अनुराग ठाकुर से बार-बार अनुरोध किया परन्तु किसी भी स्तर पर हिमाचल सरकार द्वारा कोई ठोस कार्रवाही अभी तक नही की गई.
कमेटी का कहना है कि सेवानिवृति के पश्चात कर्मचारी शारीरिक व मानसिक कार्य करने में सक्षम नही रहता है तथा कुछ भी कमा नही सकता . ऐसे में अपना व अपने परिवार का पालन पोशण करना कठिन हो जाता है. एक तरफ जहाँ कर्मचारी 35 से 40 सालों तक निष्ठा पूर्वक सरकारी सेवा करता है वहीं सेवानिवृति के पश्चात बिना पैन्शन के उसके पास आजिविका का न तो कोई साधन रहता है और ना ही कोई सामाजिक सुरक्षा होती है. आपकी सरकार हमेषा कर्मचारी हितैषी रही है तथा सभी वर्गो को आर्थिक लाभ दिये गये है. हमें भी पूर्ण विष्वास है कि आप हम लोगों के साथ भी न्याय अवष्य करेगें.
ज्ञापन में प्रधानमंत्री व गृह मंत्री से अनुरोध किया गया है कि प्रदेश सरकार को निर्देश दें कि 2-12-2004 की अधिसूचना को रद् करें तथा 29-10-1999 की अधिसूचना को बहाल करें ताकि पैन्शन से वंचित शेष कर्मचारियों को भी पैन्शन की सुविधा मिल सकें.