हिमाचल प्रदेश ने 12 नवम्बर को उत्सव के माहौल में बहुत उत्साह के साथ मतदान किया, भारी सर्दी और कई स्थानों पर बर्फ़बारी के बावजूद 75.6 प्रतिशत मतदान हुआ और इस तरह विधानसभा चुनाव 2017 का रिकॉर्ड टूट गया। सबसे कम 62.53 प्रतिशत मतदान विधानसभा क्षेत्र शिमला शहरी में हुआ।
निर्वाचन आयोग के दृढ़ प्रयासों के बावजूद हिमाचल प्रदेश में शहरी उदासीनता ने इस आंकड़े को फिर से कमजोर किया है। राज्य के लिए अब तक 75.6 प्रतिशत मतदान सबसे अधिक है, शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की अधिक भागीदारी से उच्च रिकॉर्ड-तोड़ मतदान प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। शिमला में मतदान न केवल राज्य में सबसे कम (62.53 प्रतिशत) है, बल्कि वास्तव में 2017 के चुनाव की तुलना में इसमें 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। शिमला विधानसभा क्षेत्र में राज्य में सबसे कम मतदान हुआ। साथ ही, महत्वपूर्ण शहरी क्षेत्रों में औसत मतदान ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान की तुलना में लगभग 8 प्रतिशत कम है।
विधानसभा क्षेत्र का नाम मतदान प्रतिशत
18-धर्मशाला 70.92
53-सोलन 66.84
62-कसुम्पटी, शिमला (शहरी) 68.29
63-शिमला 62.53
क्ुल 67.63
यदि शिमला, सोलन, कसुम्पटी और धर्मशाला में अधिक मतदान होता तो मतदान प्रतिशत कहीं बेहतर रिकॉर्ड स्थापित कर सकता था।
वर्तमान चुनावों में महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत पुरुष मतदाताओं की तुलना में लगभग 4.5 प्रतिशत अधिक है और कुल मतदान प्रतिशत से भी लगभग दो प्रतिशत अधिक है। 12 नवंबर, 2022 को 76.8 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और तुलनात्मक रूप से केवल 72.4 प्रतिशत पुरुषों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केन्द्र टाशीगंग (15265 फीट) में प्रतिकूल मौसम में भी 100 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो राज्य के अन्य हिस्सों, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों के लिए प्रेरणा का विषय है। चम्बा के भरमौर विधानसभा क्षेत्र में 11948 फीट की ऊंचाई पर स्थित चसक-भटोरी जहां पोलींग पार्टी को 14 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है में भी 75.26 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थापित 85 मतदान केंद्रों में औसत मतदान राज्य के औसत के करीब है। यह साहसी, समर्पित और मेहनती मतदान दलों की कर्तव्यनिष्ठा से ही संभव हो सका। प्रदेश में इस शानदार उपलब्धि को हासिल करने में 50 हजार से अधिक कर्मियों की सेवाएं ली गईं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार मतदान के प्रति शहरी क्षेत्रों और युवाओं की उदासीनता के विषय को दूर करने के लिए व्यक्तिगत रूप से लगातार प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में पुणे, जो कम मतदाता वाले प्रमुख शहरों में से एक है, से राष्ट्रीय स्तर पर विशेष संक्षिप्त पुनर्निरीक्षण-2023 को जारी करने के अवसर पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने मतदान के प्रति जागरूकता पैदा करने और मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के लिए 21 किलोमीटर की साइकिल रैली का नेतृत्व किया।
संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों द्वारा देश भर में इसी तरह की जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया गया। साथ ही देश के प्रथम मतदाता स्वर्गीय श्याम शरण नेगी को उनके गृह क्षेत्र किन्नौर में श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उन्होंने युवाओं से श्री नेगी से प्रेरणा लेने का आग्रह किया और कहा कि वे दिवंगत आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में चुनाव में मतदान करने के लिए आगे आएं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों/ मतदान केंद्रों की पहचान के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं ताकि लक्षित जागरूकता बढ़ाने वाले हस्तक्षेप सुनिश्चित किए जा सकें और प्रभावी जनसंपर्क द्वारा देश भर में शहरी उदासीनता को दूर किया जा सके। चुनाव आयोग नागरिकों से शहरी उदासीनता को हराने और अपने वोट की शक्ति को महत्व देने के लिए दृढ़ प्रयास कर रहा है।
हिमाचल प्रदेश ने 1951 में 25.16 प्रतिशत मतदान के साथ अपनी चुनावी यात्रा आरम्भ की और बाद के चुनावों में मतदान निरंतर बढ़ता रहा।
शहरी उदासीनता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आयोग ने मतदान के महत्व के प्रति जागरूकता लाने और शहरी कामकाजी नागरिकों को बाहर आने और मतदान करने के लिए प्रेरित करने के लिए कार्य संगठनों (निजी या सरकारी) में मतदाता जागरूकता मंच स्थापित करने की वकालत की है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार और निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चंद्र पांडे के नेतृत्व में आयोग ने हाल ही में पुणे में विभिन्न उद्योगों के 200 से अधिक मतदाता जागरूकता मंचों के नोडल अधिकारियों के साथ संवाद किया ताकि शहरी उदासीनता के मुद्दों को दूर करने में उनके सुझावों और भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके।