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हिमाचल के राजस्व घाटे में बढ़ोतरी पर कैग ने जताई चिंता, CM ने सदन में पेश की रिपोर्ट

डेस्क |

कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया यानि कैग ने हिमाचल में राजस्व घाटे में बढ़ोतरी पर चिंता जताई है. विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन सीएम जयराम ठाकुर ने सदन में कैग रिपोर्ट पेश की. कैग ने अपनी रिपोर्ट में तय लक्ष्य से अधिक कर्ज के बकाया के साथ साथ राजस्व घाटे में हुई बढ़ोतरी पर सवाल उठाए हैं. राजस्व खर्च बढ़ोतरी पर चिंता: इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2016 से 2021 तक के 5 सालों में राजस्व प्राप्तियों के मुकाबले राजस्व खर्च में बढ़ोतरी पर भी महालेखा परीक्षक ने चिंता जाहिर की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2025-26 तक लोक ऋणों व ब्याज के चुकाने पर हर साल 6416 करोड़ रुपए खर्च होंगे. साथ ही 2025-26 तक बाजार से उठाए गए लोन को चुकाने व उसके ब्याज के भुगतान पर लगभग 4211 करोड़ सालाना खर्च करना होगा.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में एफआरबीएम एक्ट के प्रावधानों के तहत घाटे व कर्ज के स्तर को लेकर दोबारा लक्ष्य निर्धारित करने पर राजकोषीय उत्तर दायित्व एवं बजट प्रबंधन कानून में संशोधन न होने पर भी सवाल खड़े किए. यहां बता दें कि एफआरबीएम कानून में शनिवार को विधानसभा में संशोधन भी किया गया है.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा 15 वें वित्तायोग द्वारा तय जीएसडीपी की 4 प्रतिशत की सीमा के भीतर रहा, लेकिन एफआरबीएम कानून के तहत तय सीमा से यह अधिक था. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-21 में प्रदेश का कुल लोन बकाया 42.91 फीसदी था. फिर यह 15वें वित्तायोग द्वारा तय 36 फीसदी की सीमा से अधिक रहा.97 करोड़ का राजस्व घाटा हुआ: इसी तरह 2019-20 के 12 करोड़ के अधिशेष के मुकाबले 2020-21 में 97 करोड़ का राजस्व घाटा हुआ. 2019-20 के 5597 करोड़ के राजकोषीय घाटे के मुकाबले 2020-21 में यह 103 करोड़ की बढ़ोतरी के साथ 5700 करोड़ रुपए हो गया. रिपोर्ट में कहा है कि 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में प्रदेश में राजस्व प्राप्तियों में 8.77 प्रतिशत यानी 2695.86 करोड़ की बढ़ोतरी हुई. इसके अलावा राजस्व प्राप्तियों में राज्य के स्वयं के संसाधनों से 31 फीसदी रकम ही आती है और बाकी की 69 फीसदी रकम सेंट्रल करों में हिस्सेदारी अथवा केंद्रीय सहायता अनुदान से आती है

व्यय में 7.70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई…

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 में 2801.70 करोड़ रुपए के मुकाबले वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य का कुल व्यय 39164 करोड़ हुआ. इस तरह व्यय में 7.70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 से 2021 के मध्य राज्य का प्रतिबद्ध व्यय राजस्व प्राप्तियों से अधिक रहा. इस अवधि के दौरान प्रतिबद्ध व्यय 67 से 71 फीसद तथा राजस्व प्राप्तियां 65 से 70 फीसद ही रही. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019-20 के पूंजीगत व्यय के मुकाबले 2020-21 में यह 5309 करोड़ रहा. पूंजीगत व्यय में 136 करोड़ की बढ़ोतरी 2020-21 में बीते वित्तीय साल के मुकाबले हुई.उपक्रमों ने सरकार को लाभांश नहीं दिया: रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार के 13 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संचित हानि 4074.85 करोड़ तक पहुंच गई .

इनमें से 9 उद्यमों की नेटवर्थ शून्य है. अर्थात इन 9 उद्यमों की देनदारियों को चुकता करने के बाद इनके असेट्स की कीमत शून्य रह गई है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में सार्वजनिक क्षेत्र के 29 उद्यमों में से 12 ने 36.24 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित किया. नवीनतम लेखों के मुताबिक इनमें से 11 कार्यशील उद्यमों द्वारा 28.18 करोड़ का लाभ अर्जित किया. सार्वजनिक क्षेत्र के 7 उद्यमों ने न तो अपने लेखे तैयार किए और न ही उनके पास दर्ज करने लायक लाभ व हानि के आंकड़े थे. लाभ अर्जित करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के 4 उपक्रमों ने सरकार को लाभांश नहीं चुकाया.

वहीं, वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान राज्य के 10 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को 518.60 करोड़ की हानि हुई. इस साल हिमाचल परिवहन निगम को 146.43 करोड़, बिजली बोर्ड को 185.32 तथा हिमाचल पावर कॉरपोरेशन को 105.98 करोड़ की हानि हुई.

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने 2015-16 से 2018-19 तक की अवधि के दौरान 1587.07 करोड़ के अनुदानों के 1487 यूटिलिटी सर्टिफिकेट यानी उपयोगिता प्रमाण पत्रों को हिमाचल प्रदेश नियंत्रक महालेखा परीक्षक को उपलब्ध नहीं करवाया. कुल 3557 करोड़ से अधिक के 2799 प्रमाण पत्र इस अवधि के दौरान बकाया थे. इनमें पंचायती राज विभाग के 1269.55 करोड़, शहरी विकास विभाग के 745.69 तथा ग्रामीण विकास विभाग के 454.98 करोड़ की राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र बकाया थे.