हिमाचल

यहां ‘अपने ही हराएंगे अपनों’ को! क्या नाचन में हैट्रिक लगा पाएगी BJP या होगी कांग्रेस की वापसी

नाचन आरक्षित विधानसभा क्षेत्र में इस बार अपने ही अपनों को हराएंगे, इस खेल में कुछ सामने से तो कुछ पर्दे के पीछे डटे हैं. यह हल्का सुंदरनगर, बल्ह, सराज, मंडी सदर व करसोग की सीमाओं के साथ लगता है. इतिहास बताता है कि नाचन कभी किसी का पक्का गढ़ नहीं रहा. 1977 व उसके बाद की बात करें तो यहां पर 2012 तक सत्ता की भागीदारी फिफ्टी फिफ्टी रही है. 1977 में जनता पाटी के दिले राम यहां से जीते और फिर कांग्रेस के टेक चंद के साथ कई बार आमने- सामने मुकाबला होता रहा.

1977 के बाद 1982, 1990 व 2007 में दिले राम ने यहां जीत हासिल की तो 1985 में कांग्रेस के टेक चंद डोगरा जीते. 1993 में पंडित सुख राम ने उनका टिकट काट दिया तो वह आजाद खड़े होकर विजयी हो गए. 1998 व 2003 में वह फिर विधायक चुने गए. इसी तरह से दिले राम व टेक चंद डोगरा चार-चार बार यहां से विधायक रहे. 2012 में भाजपा ने नया प्रयोग किया और दिले राम के भाजपा का जिला अध्यक्ष होते हुए भी उनका टिकट काट कर युवा विनोद कुमार को उम्मीदवार बनाया.

पिछले दो चुनाव जीते विनोद कुमार

विनोद कुमार 2012 व 2017 में जीत हासिल करने में कामयाब रहे और अब फिर से मैदान में हैं. कांग्रेस ने टेक चंद डोगरा को हटाकर यहां से नए नए प्रयोग शुरू किए मगर दोनों ही बार उसे हार का सामना करना पड़ा. इस बार कांग्रेस ने फिर से नया चेहरा नरेश चौहान लाया है जबकि भाजपा ने विनोद कुमार पर ही दांव खेला है. भाजपा की परेशानियां बागी होकर डटे ज्ञान चंद जो अपने को मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का भक्त व विशुद्ध भाजपाई करार दे रहे हैं. उन्होंने मजबूती के साथ मैदान में डटे रहने से मुश्किलें बढ़ा दी हैं. लाख मनाने पर भी उन्होंने नाम वापस नहीं लिया है.

कांग्रेस भी मुसीबत में

कांग्रेस के लिए भी मुसीबत कम नहीं है. 2017 में उम्मीदवार रहे लाल सिंह कौशल भले ही सुखविंदर सिंह सुक्खू के मनाने पर नामांकन पत्र वापस ले चुके हैं मगर वह नरेश चौहान की कितनी मदद करेंगे यह तो भविष्य ही बताएगा. कांग्रेस में अन्य दावेदार टेक चंद डोगरा के पुत्र संजू डोगरा, जिला परिषद सदस्य जसवीर सिंह, दामोदर चौहान, ब्रहमदास चौहान, निक्का राम चौधरी की भूमिका पर भी सबकी नजर है. जसवीर सिंह तो खुद मैदान में डटे हुए हैं. उनके नाम जिला परिषद में सबसे ज्यादा वोट लेने का भी रिकार्ड है. वह आम आदमी पार्टी में भी हो आए हैं. आम आदमी पार्टी की जबना चौहान जो सराज की थरजून पंचायत से सबसे कम उम्र की पंचायत प्रधान रह चुकी है वह भी नाचन से भाग्य आजमा रही है.

मतदाता के मन में क्या है ?

नाचन में जातिगत समीकरण कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में ज्यादा दिख नहीं रहे मगर यहां के मतदाता के मन में क्या है इसे कोई नहीं जान सकता. 2021 में हुए लोक सभा उपचुनाव में मंडी जिले के 9 हल्कों में से नाचन ही ऐसा क्षेत्र था जहां से कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को 2500 मतों की लीड मिली थी जो उनकी जीत का कारण व भाजपा के उम्मीदवार बिग्रेडियर खुशाल ठाकुर की हार का कारण बनी थी. ऐसे में यहां का मतदाता कोई भी चमत्कार कर सकता है मगर इतना यकीनी है कि यहां अपने ही अपनों को हराने में लगे हैं क्योंकि नेताओं को पार्टी की चिंता कम बल्कि अपने राजनीतिक भविष्य की ज्यादा है.

Vikas

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