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11 फरवरी को हमीरपुर में बिजली बोर्ड कर्मचारियों की महापंचायत
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सुक्खू सरकार पर बिजली बोर्ड को घाटे में दिखाने का आरोप
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आउटसोर्सिंग, OPS और छंटनी के विरोध में बड़े आंदोलन की चेतावनी
Himachal Power Board Protest: हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के कर्मचारी, अभियंता और पेंशनर्स के जॉइंट फ्रंट ने सुक्खू सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया है। शिमला में आयोजित बैठक में ज्वाइंट फ्रंट ने सरकार पर कर्मचारियों की छंटनी, आउटसोर्स भर्ती और पेंशनरों के वित्तीय देनदारियों को न चुकाने जैसे गंभीर आरोप लगाए। इस विरोध का पहला चरण 11 फरवरी को हमीरपुर में महापंचायत के रूप में शुरू होगा, जिसके बाद आंदोलन को सभी जिलों में तेज किया जाएगा।
ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार बिजली बोर्ड को ‘प्रयोगशाला’ बना चुकी है। कभी सब-कमेटी बोर्ड पर प्रयोग करती है, तो कभी सरकार बंद कमरे में नीति बनाकर उसे लागू कर देती है। उन्होंने आरोप लगाया कि रेशनलाइजेशन के नाम पर बिजली बोर्ड को कमजोर किया जा रहा है। कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि वे रेशनलाइजेशन के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इस प्रक्रिया को बिना चर्चा के लागू नहीं किया जा सकता।
बिजली बोर्ड में अब तक 700 पद खत्म किए जा चुके हैं और मुख्यमंत्री ने भी इसकी अनुमति दे दी है। नई भर्तियां बंद कर दी गई हैं, जबकि सरकार आउटसोर्सिंग को बढ़ावा दे रही है। हीरा लाल वर्मा ने दावा किया कि सरकार बिजली बोर्ड को घाटे में दिखाने की कोशिश कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि विभिन्न सरकारी विभागों पर 178 करोड़ रुपये का बकाया है, जिसे अभी तक चुकता नहीं किया गया है।
ज्वाइंट फ्रंट ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो आंदोलन और अधिक उग्र होगा।