28 मार्च 2018 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को काउंसिल ने वक़ीलों के मौलिक अधिकारों पर हमला बताया है। इस मामले को लेकर दिल्ली काउंसिल मीटिंग में तय हुआ कि 17 सितंबर को सभी राज्यों की बार काउंसिल मुख्यमंत्री, गवर्नर और उपायुक्त को ज्ञापन सौंपेंगे।
वकीलों ने सरकार का न्यायपालिका पर हावी होने के गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने कहा कि वकीलों के मौलिक अधिकार इस फैसले बाद खतरे में पड़ गए हैं। बार काउंसिल ऑफ हिमाचल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने बताया कि दिल्ली में 1 सितंबर को हुई बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया की मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रेज्यूलशन पास किया है कि इस फैसले के विरोध में देश भर बार कॉउंसिल प्रदर्शन करेगी। इसके अतिरिक्त वकीलों ने जजों को रिटायर होने के बाद किसी भी तरह की पदों पर नियुक्ति न होने की मांग की है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
दरअसल, 28 मार्च 2018 को आए एक फैसले के बाद वकीलों को न्यायालय में किसी मामले को लेकर हड़ताल और बॉयकाट करने के अधिकार पर रोक लगा दी है। अगर कोई भी वकील प्रदर्शन करता है तो वो न्यायालय की अवमानना होगी। इस फैसले पर बार काउंसिल विरोध कर रही है।