<p>प्रदेश में बसों की सुविधाएं खल रही हैं तो ओवरलोडिंग होना आम बात है। सरकार औऱ प्रशासन बेशक लाख़ों दावे कर ले लेकिन ओवरलोडिंग का सिलसिला आज भी जारी है और उसपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इसकी बड़ी वज़ह ये है कि सरकार ने बिना सोचे समझे ओवरलोडिंग चालान के आदेश जारी किए। इसमें कोई दो राय नहीं की ओवरलोडिंग ग़लत हैं, लेकिन उसके बजाय पर्याप्त बस सुविधाएं तो होनी चाहिए। अब बस सुविधाएं सही से न हो पाने पर बस चालक भी मजबूर हैं और यात्री भी ओवरलोड बस पर चढ़ने पर मजबूर है।</p>
<p>बुधवार को बिलासपुर सहित कई इलाकों में बस ओवरलोडिंग देख़ने को मिली। हालांकि, इस सिलसिले में ड्राइवर और कंडक्टर के साथ-साथ लोगों से भी बात की गई है। लेकिन दोनों ने अपने-अपने कारण बताए कि क्यों वे ओवरलोडिंग पर मजबूर हैं। आख़िर में हल यही निकला की सरकार के आदेश तो ठीक हैं, लेकिन प्रोपर सुविधाएं नहीं होने से प्रदेश की जनता को दिक्कतें आ रही हैं।</p>
<p>वहीं, स्थानीय लोगों की माने तो सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले यात्रियों को मुआवजा देने के बजाय प्रदेश सरकार को ओवरलोडिंग पर ठोस रणनीति बनानी चाहिए ताकि ऐसे हादसों पर रोक लग सके। स्कूली छात्रा अवंशिका का कहना है की ओवरलोडिंग क चलते उसे बस से स्कूल जाने में डर लगता है कि कही कोई दुर्घटना ना हो जाये। इसीलिए उसके माता-पिता उसे पैदल ही स्कूल छोड़ते हैं। बिलासपुर डीएसपी संजय शर्मा का कहना है की बसों में ओवरलोडिंग को लेकर पुलिस प्रशासन सख्त है और जगह-जगह चेकिंग अभियान के जरिये ओवरलोडिंग पर शिकंजा कसने का काम किया जा रहा है।</p>
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