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विधायक प्राथमिकताओं की बैठक का विपक्ष ने किया बहिष्कार

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 बहिष्कार का कारण

  1. डीपीआर न बनने का आरोप – विपक्षी विधायकों की प्राथमिकताओं पर दो साल में कोई कार्य नहीं हुआ।
  2. सरकारी कार्यक्रमों में भेदभाव – विपक्षी विधायकों को किसी भी सरकारी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जा रहा है।
  3. केंद्र सरकार की सहायता से सरकार चलने का आरोप – हिमाचल को मिली 1000 करोड़ रुपये की विशेष सहायता का गलत उपयोग किया गया।
  4. सीपीएस बचाने और अन्य गैर-जरूरी मुद्दों पर धन व्यय – सरकार आर्थिक संकट की बात कर रही है लेकिन अदालत में सीपीएस (मुख्यमंत्री के मुख्य संसदीय सचिव) को बचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।

Himachal MLA priority meeting boycott: हिमाचल प्रदेश में आगामी बजट सत्र से पहले होने वाली विधायक प्राथमिकताओं की बैठक का विपक्ष ने बहिष्कार कर दिया है। नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला में कहा कि सरकार विपक्षी विधायकों की प्राथमिकताओं को अनदेखा कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दो वर्षों में विपक्षी विधायकों द्वारा सुझाई गई प्राथमिकताओं की डीपीआर तक नहीं बनाई गई, जबकि कांग्रेस के उन विधायकों की योजनाओं को मंजूरी दी जा रही है जो मुख्यमंत्री के करीबी हैं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष के विधायकों को न केवल विकास योजनाओं में दरकिनार किया जा रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी कार्यक्रमों में भी आमंत्रित नहीं किया जा रहा। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन बताते हुए कहा कि सुक्खू सरकार विपक्षी विधायकों को अपमानित कर रही है। ऐसे में विपक्ष ने विधायक प्राथमिकताओं की बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है और अब आगामी बजट सत्र में इन मुद्दों को सदन में उठाया जाएगा।

नेता विपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जब विपक्ष में थे, तब विधायकों के अधिकारों की बातें करते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद वे खुद विधायकों के हितों की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केंद्र सरकार से मिली आर्थिक सहायता का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल को विशेष सहायता के रूप में एक हजार करोड़ रुपये मिल चुके हैं, जिसमें से 278 करोड़ रुपये कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन के लिए दिए गए हैं, जबकि यह राशि अन्य विकास कार्यों में खर्च होनी चाहिए थी।

इसके अलावा, जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार मनरेगा और रेलवे जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य सरकार का अंशदान नहीं दे रही है, जिससे प्रदेश के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार करोड़ों रुपये कोर्ट केसों पर खर्च कर रही है, लेकिन हिमाचल कोटे के आईएएस अधिकारियों को शामिल न करने जैसे फैसले से कोई विशेष बचत नहीं होगी।

रमेश धवाला द्वारा पार्टी के खिलाफ दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए जयराम ठाकुर ने उन्हें संयम बरतने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जब धवाला विधायक नहीं थे, तब भी भाजपा सरकार ने उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया था, इसलिए उन्हें पार्टी मंच के बाहर इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए।