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स्टाफ़ के नाम पर मंत्री का परिवार करता है गाड़ी इस्तेमाल: भूपेंद्र सिंह

नवनीत बत्ता |

धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के विधयाक और वर्तमान सरकार के वरिष्ठ मंत्री के परिवार पर जयराम सरकार ख़ासी मेहरबान है। सूचना के अधिकार क़ानून के तहत हिमाचल सरकार के वरिष्ठ मंत्री महेंद्र सिंह को जो 4 सरकारी गाड़ियां मुहैया कराई गई हैं उनमें एक गाड़ी बागवानी विभाग ने उपलब्ध के तहत ज़िला पार्षद भूपेंद्र सिंह ने हासिल की है। इससे पता चला है कि लाग बुक पर इस गाड़ी का उपयोग मन्त्री के स्टाफ़ के नाम से दर्शया गया है और लाग बुक को मंत्री के निजि सचिव पर स्थापित किया गया है।

इसके चलते मंत्री के स्टाफ़ ने इस गाड़ी से 29 दिसंबर 2018 से 5 जनवरी 2020 तक 12 महीने 8 दिन में कुल 59251 किलोमीटर सफ़र इस गाड़ी से किया है। इस पर सरकार के नियमों के आधार पर तेल और गाड़ी की रिपेयर पर 5 लाख रुपये से अधिक खर्च हुए हैं। इसके अलावा मंत्री के पास दो गाड़ियां और भी हैं जो हिमाचल सरकार के JAD विभाग की और एक गाड़ी आई पी एच विभाग की है।

जी ए डी विभाग की गाड़ियों के नंम्बर एक जैसे ही हैं ताकि देखने वालों को इसकी पहचान न हो सके। भूपेंद्र सिंह ने बताया कि वास्तव में बागवानी विभाग की गाड़ी मंत्री की बेटी के दैनिक प्रयोग और अन्य राजनैतिक कामों के लिए इस्तेमाल हो रही है। इसके बारे पहले भी मुद्दा उठा है औऱ मीडिया में भी सार्वजनिक हुआ है। लेक़िन आर्थिक रूप में तंगी झेल रही जय राम सरकार ने एक मंत्री को नियमों के विपरीत इतनी गाड़ियां क्यों दी है इसका कोई कारण वे नहीं बता पा रहे?

बागवानी विभाग की गाड़ी की लॉग बुक स्टाफ़ के नाम पर भरी गई है जबकि गाड़ी का इस्तेमाल मंत्री की बेटी और उनका परिवार करता है। उन्होंने मंत्री को दी गई दूसरी गाड़ियों की लॉग बुक की डिटेल भी आर टी आई से हासिल की है, जिनका इस्तेमाल सरकार की शर्तों के अनुसार नहीं हुआ है। किसी भी मंत्री को सरकार की तरफ़ से एक सरकारी और एक सबन्धित विभाग की गाड़ी इस्तेमाल करने की ही अधिसूचना जारी हुई है। लेकिन आई पी एच और बागवानी तथा सैनिक कल्याण मंत्री को मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर ने दो सरकारी तथा दो विभागीय गाड़ियां क्यों दी हैं।

इस बारे मुख्यमंत्री को सार्वजनिक तौर पर जनता को बताना चाहिए कि एक मंत्री को चार-चार गाड़ियां किस आधार पर दी गई हैं। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी गाड़ियों के प्रयोग बारे जो नियम निर्धारित हैं उनके अनुसार ही आवंटन किया जाना चाहिये और ये जो दुरुपयोग किया जा रहा है इसपर रोक लगनी चाहिए।