<p>सोमवार को बल्ह के किसानों ने अपने खेतों में काम करते हुए कुम्मी, छात्रू, टावा, सियांह, ढाबन, भौर, डीनक,दुग्रराइ में पोस्टर लेकर प्रस्तावित हवाई अड्डे का विरोध किया। बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जोगिंदर वालिया ने कहा कि प्रस्तावित हवाई अड्डा 8 गांव (सियांह, टाबा , जरलू , कुम्मी , छात्तरू , ढाबण, भौर , दुगराइन में बन रहा है । इनमें से 6 गांव में दलित, ओबीसी, मुस्लिम आबादी 75 % से अधिक है ।</p>
<p>अधिकतर किसान प्रस्तावित हवाई अड्डे की वजह से भूमिहीन हो जाएंगे और 2000 परिवार जिनकी आबादी 12000 से अधिक है, नकदी फसलें उगाकर अपना परिवार पाल रहे हैं वो पूरी तरह से रोजगार विहीन और पूरी तरह विस्थापित हो जायेंगे । इतनी घनी आबादी जो की नकदी फसलें जिसमें टमाटर, गोभी, मूली, पालक औऱ अन्य फसलें ऊगा कर अपनी आजीविका कमा रहे हैं। वे यहां से विस्थापित कर कहां पुनर्स्थापित होंगे, इसके बारे में सरकार के पास कोई भी वैकल्पिक योजना नहीं है।</p>
<p>समिति के उपप्रधान प्रेम दास चौधरी ने कहा कि प्रस्तावित हवाई क्षेत्र में जमीन के सर्कल रेट इतने कम है कि जमीन कोड़ियों के भाव जाएगी, जबकि किसान 3-4 लाख प्रति बीघा नकदी फसलों से प्रति वर्ष कमा रहा है। आज किसानों ने अपने खेतों में काम करते हुए सरकार से मांग की कि प्रस्तावित हवाई अड्डे को किसी दूसरी जगह बनाकर इस क्षेत्र की रक्षा की जाए।</p>
<p>समिति उपप्रधान गुलाम रसूल ने जोर देकर कहा कि अगर किसानों को बेदखल किया जाता है तो इस रेट में हिमाचल में कहीं भी उपजाऊ जमीन नहीं मिलेगी। किसान से हमें हुए है और उजड़ने का डर सत्ता रहा है इसलिए हम मांग करते है कि प्रस्तावित हवाई अड्डे को गैर उपजाऊ जमीन पर बनाया जाए।</p>
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