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मंडी: बल्ह की खदानों से रेत की सप्लाई बंद होने से ठप्प पडऩे लगे निर्माण कार्य

बीरबल शर्मा |

मंडी के बल्ह में रेत की कमी से कई निर्माण कार्य रुकने की कगार पर आ गए हैं। सरकार और उसकी निर्माण ऐजेसिंयां इस समस्या पर गंभीर होने के बजाए तमाशबीन बनी हुई हैं। आजकल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वेलफेयर एसोसिएशन रेत की कमी से जूझ रही है। क्योंकि ज्यादातर निर्माण कार्य रेत की आपूर्ति न होने से बंद हो रहे है। जबकि कई जगह पर ठेकेदारों को अवैध रूप से मिल रही सप्लाई से महंगी रेत खरीदने पड़ रही है।

मंडी जिला में हाई कोर्ट के आदेश के बाद बल्ह और उसके आसपास अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लगने की वजह से अब रेत के लिए भी मारामारी शुरू हो गई है। कई जगह तो क्रशर का रेत उपयोग में लाया जा रहा है जबकि निर्माण कार्यों में क्रशर सेंड मान्य नहीं है। एसोसिएशन के प्रधान केशव नायक ने बताया कि जिस लेबर को लॉक डाउन तक पालकर रखा । आज रेत न होने की वजह से वह लेबर भी बिना काम से हो गई है।

उन्होंने कहा कि नौबत ये आ गई है कि सरकारी निर्माण कार्य में या तो अवैध रेत लगाए या फिर काम बंद कर दे। इस मामले में लोक निर्माण विभाग का कहना है कि रेत कहीं से लाए ये ठेकेदार की जिम्मेवारी है। मगर यूनियन का कहना है कि अगर यही रवैये रहा तो फिर निर्माण कार्य कैसे होंगे। न्यायधीश हिमाचल उच्च न्याालय धर्म चंद चौधरी की पीठ में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह स्वीकार किया कि बड़ी संख्या में खदान गैरकानूनी तरीके तरीके से बल्ह घाटी में चल रही हैं। जिला उपायुक्त ने उच्च न्यायालय में हलफि या बयान दिया कि खनन के सौदागरों से 50 लाख रुपए  की राशि बतौर जुर्माना वसूल कर ली गई है।

साथ मे उन्होंने कहा कि अब अवैध खनन बंद है। लेकिन दुर्भाग्य पूर्ण है कि सरकार के लोक निर्माण विभाग के काम सरकार की छत के नीचे ही ठेकेदारों को अवैध रेत की खरीद के लिए दबाव बना रहे है। जल्द ही सर्व श्रेणी के ठेकेदार डीसी मंडी के जरिए राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा ।