कांगड़ा के नगरोटा बगवां में मारुति सुजुकी का एक शोरूम आए दिन सुर्खियों में रहता है। हटवास के पास बने इस शोरूप में पहले भी कर्मचारियों को प्रताड़ित करने की ख़बर आती है। लेकिन अब महामारी के वक़्त फ़िर कंपनी के हेड ने कर्मचारियों को राम भरोसे छोड़ दिया है औऱ उन्हें काम नहीं मिल रहा। इस संबंध में कर्मचारियों ने डीसी कांगड़ा से मुलाक़ात भी की और लेबर कोर्ट में शिकायत भी दी है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें बिना कहे बाहर कर दिया गया और उन्हें तनख़्वा नहीं दी जा रही। इसको लेकर आज कर्मचारियों ने शोरूम के बाहर धरना भी दिया था।
इस शिकायत पर जब मीडिया कर्मी उक्त कर्मचारियों की धरने पर पहुंचे तो शोरूम के हेड और बाकी कर्मचारियों ने बड़ी चालाकी दिखाई और सभी कर्मचारियों को अंदर बुला लिया। कुछ देर कर्मचारियों के साथ कोई बातचीत नहीं हुई तो समाचार फर्स्ट के संवाददाता खुद शोरूम के अंदर कर्मचारियों का हक़ दिलाने पहुंच गए। समाचार फर्स्ट के संवाददाता ने लाइव स्ट्रीम में दिखाया कि कैसे कर्मचारियों को हेड औऱ बाकी लोग प्रताड़ित करते हैं।
ये सब लाइव स्ट्रीम होता देख शोरूम के हेड वहां आ पहुंचे और मीडिया कर्मी से ही बदत्तमीज़ी करने लगे। उन्होंने कहा कि बिना परमिशन कोई भी अंदर नहीं आ सकता और कोई रिकॉर्डिंग नहीं कर सकता। लेकिन अग़र किसी व्यक्ति ने गाड़ी खरीदनी हो तो फ़िर चाहे वे व्यक्ति रिकॉर्डिंग करे या फ़िल्म बनाए शोरूम के कर्मचारियों के लिए वे भगवान है। लेकिन यहां बात गाड़ी की नहीं, कर्मचारियों औऱ मजदूरों के हक़ की थी। ऐसे में समाचार फर्स्ट के संवाददाता ने निडर होकर आवाज़ उठानी जारी रखी और लाइव स्ट्रीम में सब रिकॉर्ड होता रहा।
आप इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं कि कैसे हेड के गुस्साने के बाद मीडिया कर्मी से बदतमीज़ी हुई औऱ उन्हें हाथ पकड़कर बाहर निकाला गया। ख़ैर मीडिया का तो काम ही जनता की आवाज़ उठाना है…. लेकिन उन कर्मचारियों का क्या जिनका शोरूम दुश्मन बना बैठा हो। कैमरे के सामने डर जाने से शोरूम के हेड की बौखलाहट ये साफ़ करती है कि कर्मचारियों के साथ कुछ गड़बड़, अन्याय तो जरूर हो रहा। अग़र ऐसा नहीं होता तो वे कैमरा देख़कर बिफ़रते नहीं। अग़र ऐसा नहीं होता तो कर्मचारी डीसी के पास न जाते और न ही लेबर कोर्ट में शिकायत करते।
एक मीडिया संस्थान होने के नाते किसी का हक़ और आवाज़ उठाना हमारा फर्ज है औऱ यही हमारे संवाददाता ने किया। लेकिन अग़र उसके बदले में महामारी के वक़्त कर्मचारियों को उनका हक़ मिल जाए तो मीडिया का काम सफ़ल हो जाएगा। इस बारे में समाचार फर्स्ट डीसी कांगड़ा से भी बात कर रहा है कि उन्हें उनका हक़ दिलाया जाए।