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फीस न लेने के निर्देशों से हिमाचल प्रदेश पब्लिक स्कूल एसोसिएशन खफा, CM से लगाई मध्यस्थता की गुहार

<p>हिमाचल प्रदेश पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज द्वारा रोजाना दिए जा रहे नए नए बयानों पर रोष जताया है। शिक्षा मंत्री द्वारा निजी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों से फीस ना लेने और स्कूल में कार्यरत अध्यापक और कर्मचारी वर्ग को पूरी सैलरी देने के आदेश दे रहे हैं। इसके अलावा बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा भी प्रदान करने के बारे में कहा जा रहा है। पब्लिक स्कूल मैनेजमें एसोसिएशन ने सोमवार को डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा और उनसे मध्यस्थता की गुहार लगाई है।</p>

<p>एसोसिएशन के विभिन्न पदाधिकारियों और सैंकड़ों स्कूल मैनेजमेंट द्वारा हस्ताक्षर किए गए मांग पत्र में गुहार लगाई गई है कि कोविड-19 वायरस के लिए एतिहातन किए गए लॉकडाउन की वजह से स्कूल संचालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में 85 फीसदी स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इन स्कूलों की मासिक औसतन फीस 500 रुपए से दो हजार रुपए तक है। इसमें भी छात्रों को भाई.बहन में डिस्काउंट दिया जाता है और जिन छात्रों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती उनकी फीस भी माफ की जाती है।</p>

<p>हिमाचल प्रदेश पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन का कहना है कि पिछले दो महीने से कोई भी फीस और शुल्क नहीं लिया गया है। जिससे प्रदेशभर के निजी स्कूलों में हजारों की संख्या में कार्यरत कर्मचारी, जिनमें अध्यापक, नॉन टीचिंग स्टाफ, ड्राइवर आदि का दो महीने का वेतन अभी देने को है। शिक्षा मंत्री के आदेशों से गुमराह होकर अभिभावक एडमिशन फीस और मासिक फीस जमा करने में गुरेज कर रहे हैं, जिस कारण निजी स्कूल संचालक कर्मचरियों को वेतन देने में असमर्थ हो गए हैं।</p>

<p>उन्होंने सरकार से कहा है यदि फीस नहीं लेंगे, तो वेतन कहां से देंगे, जिसपर नो वर्क नो पे लागू करने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि सभी निजी स्कूल बसों और अन्य वाहनों द्वारा छात्रों को ट्रांसपोर्ट सुविधा प्रदान करते हैं, जिसपर स्कूल बसों का टैक्स, इंश्योरेंस एवं रख-रखाव पर लाखों रुपए खर्च होता है और वाहन बैंकों से कर्ज पर लिए गए हैं, जिनकी अदायगी कैसे और कहां से की जाएगी, यदि ऐसे ही हालात रहे तो बहुत सारे मान्यता प्राप्त निजी स्कूल बंद होने की कगार पर खड़े हो जाएंगे। जिससे हिमाचल प्रदेश में हजारों शिक्षित लोग एवं कार्यरत स्टाफ बेरोजगार हो जाएंगे।</p>

<p>एसोसिएशन का कहना है कि यदि शिक्षा संस्थानों के साथ इस प्रकार की नीतियां लागू कर दुव्र्यवहार किया जाएगा तो छात्रों का भविष्य भी अधर में लटक जाएगा और हजारों निजी स्कूलों में कार्यरत कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से गुहार लगाई है कि वे इन गंभीर समस्याओं पर खुद मध्यस्थता कर शीघ्र ही निर्णय लें ताकि निजी स्कूल अपना कार्य सुचारू रूप से कर सकें साथ ही देश के कर्णधारों के भविष्य से खिलवाड़ न हो।</p>

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