<p>शिमला के चौपाल के साथ लगते नेरवा में 4 महीने के बच्चे की मौत के बाद लोग गुस्साए हुए है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते मासूम को अपनी जान गंवानी पड़ी। नेरवा अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। आरोप है कि बीमार बच्चे को लेकर जब परिवार वाले अस्पताल पहुंचे तो मौके पर कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था।</p>
<p>फ़ोन करके जब स्टाफ नर्स ने बच्चे की गंभीर हालत के बारे में बताया तो डॉक्टर साहब ने अस्पताल न पहुंच फ़ोन पर ही कुछ दवाईयां लिखवा कर देने को कहां। BMO को शिकायत करने के करीब एक घंटे बाद डॉक्टर अस्पताल पहुंचे मगर तब तक काफी देर हो चुकी थी। बच्चे को हायर सेंटर शिमला रेफर किया गया। यहां तक कि 108 एम्बुलेन्स मांगने पर भी मुहैया नहीं करवाई गई।</p>
<p>जैसे तैसे तीमारदार ने प्राइवेट टैक्सी को हायर किया और ऑक्सीज़न की व्यवस्था की मगर अफ़सोस की चौपाल से थोड़ा आगे जाकर ऑक्सीज़न खत्म हो गया और 4 माहीने के मासूम बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।नेरवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य सम्बंधित दावों की असल हकीकत बेपर्दा हो गई और परिवार को कभी न भरने वाला एक गहरा जख्म दे गई।</p>
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