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सोलन: परवाणू का निजी स्कूल सुर्खियों में, अभिभावकों से की फ़ीस की मांग

डेस्क |

हिमाचल प्रदेश में लॉकडाउन-कर्फ्यू के चलते सभी निजी और सरकारी स्कूल ऑनलाइन स्टडी की सुविधा मुहैया करवा रह हैं। लेकिन इसी बीच अब जब स्कूल्स ने करीब 1 महीना तक बच्चों को ऑनलाइन स्टडी औऱ सिलेबस मेटिरियल उपलब्ध करवाया है तो स्कूल फीस की मांग भी करने लगे हैं। लिहाज़ा सरकार में शिक्षा मंत्री की ओर से लॉक़डाउन तक फीस न लेने की बात कही गई थी और बकायदा इसके आदेश भी जारी किए गए थे।

विभाग की ओर से बकायदा फीस मांगने वाले स्कूल्स पर कार्रवाई की बात भी कही गई थी औऱ उनकी मान्यता रद्द करने को कहा गया था। लेकिन बावजूद इसके कुछ निजी स्कूल अभिभावकों से फीस भरने को कह रहे हैं। इन कुछ एक स्कूल्स की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि शिक्षकों को सैलरी भी उपलब्ध करवानी होती है जो ज्यादातर फ़ीस पर निर्भर करती है। स्कूल में इनकमिंग का कोई और साधन नहीं है जिससे शिक्षक भी अपना खर्च चला सकें।

ताजे मामले में सोलन के परवाणू इलाके का एक निजी स्कूल काफी सुर्खियों में है। निजी स्कूल D.A.V पब्लिक परवाणू ने अभिभावकों को फीस भरने के लिए ऑनलाइन पेमेंट करने का आग्रह किया है। इसके लिए स्कूल की ओर से मेल आइडी के साथ-साथ बैंक डिटेल भी शेयर की गई हैं जिसमें अभिभावक अपने बच्चों की फीस भर सकते हैं। यही नहीं, स्कूल ने नर्सरी से लेकर +2 तक के बच्चों की फीस निर्धारित कर इसकी लिस्ट भी अभिभावकों को भेज दी है। इसकी 2 तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं।

अब जब शिक्षा मंत्री ने लॉकडाउन के दौरान फीस न लेने और कार्रवाई करने की बात कही थी तो लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं कि आख़िरकार सरकार का इसपर क्या विचार है। एक ओर शिक्षा मंत्री स्कूल फीस न लेने और कार्रवाई करने की बात कहते हैं तो दूसरी ओर स्कूल प्रबंधन फ़ीस के लिए अभिभावकों को बैंक डिटेल भेज रहे हैं। ऐसे में अभिभावक भी ख़ासे परेशान हैं कि लॉकडाउन के माहौल में बच्चों को शिक्षा दिलाएं तो कैसे…??

स्कूल उन्हें सैलरी वगैराह की जो समस्याएं बता रहा है वे भी वाजिब हैं लेकिन ऐसे माहौल में कई परिवारों को फीस निकालना मुश्किल हो रहा है। कई अभिभावक सरकार और शिक्षा मंत्री के कहने पर अपना कोई बजट फीस पर नहीं बना कर चले जिससे उन्हें भी अब दिक्कत आ रही है। ग़ौरतलब है कि विभाग ने लॉकडाउन तक स्कूल फीस न लेने के आदेश जारी किए हैं लेकिन इसके बावजूद भी स्कूल प्रबंधन बाज़ नहीं आ रहे।