<p>छात्र अभिभावक मंच ने शिमला स्थित निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा ट्यूशन फीस में की गई पचास प्रतिशत फीस बढ़ोतरी और उसकी वसूली के लिए छात्रों पर ऑनलाइन क्लासिज़ में मानसिक दबाव बनाने के खिलाफ शिक्षा निदेशक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इसके बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल उच्चतर शिक्षा निदेशक से मिला औऱ उन्हें ज्ञापन सौंप कर फीस बढ़ोतरी वापस लेने और दयानंद स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। निदेशक ने भी मंच के सदस्यों को स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया।</p>
<p>मंच ने शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर बढ़ी हुई पचास प्रतिशत फीस वापस न ली गयी तो आंदोलन तेज होगा। प्रदर्शन के दौरान छात्र अभिभावक मंचक संयोजक विजेंद्र कहा कि शिमला के एक नामी निजी स्कूल की मनमानी फीसों और पचास प्रतिशत ट्यूशन फीस बढ़ोतरी के खिलाफ मंच का प्रतिनिधि मंडल ने 28 अप्रैल को शिक्षा निदेशक से मिला था और इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा था। इसके बाद फीसों को लेकर स्कूल प्रबंधन से पांच दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा था लेकिन स्कूल ने जान बूझ कर लगभग सवा एक महीने के बाद इसका जबाव दिया ताकि इस दौरान ज़्यादा से ज्यादा अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करके पूर्ण फीस वसूली जा सके।</p>
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<p>पत्र के जबाव में भी स्कूल प्रबंधन ने सभी मुद्दों पर शिक्षा निदेशक को गुमराह किया है जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने दयानंद स्कूल प्रबंधन के उस तर्क को पूर्णतः नकारा है जिसमें उसने कहा है कि फीस वृद्धि पीटीए की सहमति से की गयी है। जब वर्ष 2020 औऱ 2021में अभिभावकों का जनरल हाउस ही नहीं हुआ तो पीटीए कैसे बनी। 2019 के शिक्षा विभाग के आदेशानुसार दयानंद स्कूल के जनरल हाउस में कोई भी पीटीए नहीं बनी है औऱ यह प्रबंधन के आर्थिक हितों के संरक्षण के लिए बनाई गई डम्मी पीटीए है।</p>
<p>विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि दयानंद स्कूल की पीटीए शिक्षा निदेशक के निर्देशानुसार नहीं बनी है अतः यह पूर्णतः अमान्य है और अभिभावकों को मंजूर नहीं है । स्कूल प्रबंधन शिक्षा विभाग को यह कह कर गुमराह कर रहा है कि उसने केवल 6 से सात प्रतिशत वृद्धि की है जबकि स्कूल ने ट्यूशन फीस में पचास प्रतिशत तक फीस वृद्धि की है। इस संदर्भ में स्कूल से पिछले औऱ इस साल की फीस रसीदें मंगवाने पर सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इस साल स्कूल ने जान बूझ कर यह पचास प्रतिशत वृद्धि ट्यूशन फीस में की है ताकि ट्यूशन फीस वसूली में ही स्कूल ज़्यादातर फीस वसूल सके। यह अनैतिक है और आर्थिक भ्रष्टाचार है व इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।</p>
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