हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार बिजली के वाहन खरीदने की तैयारी में है. इस कड़ी में जहां सरकार नवोन्वेषी विचारों के साथ इलैक्ट्रिक वाहन पॉलिसी को मुख्यमंत्री व प्रदेश मंत्रिमंडल से चर्चा के उपरांत लागू करेगी. वहीं, चरणबद्ध तरीके से पैट्रोल व डीजल के वाहनों को इलैक्ट्रिक वाहनों से बदला जाएगा. इस कड़ी में सरकार 15 दिनों के
सोमवार को उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने इलैक्ट्रिक वाहनों का राज्य सचिवालय से ओक ओवर तक ट्रायल लिया. इस मौके पर अग्रिहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार इलैक्ट्रिक वाहनों को पॉलिसी के तौर पर शामिल कर रही है. इस कड़ी में सबसे पहले निदेशक परिवहन के सभी वाहनों को बदला जाएगा तथा उनका पूरा बेड़ा इलैक्ट्रिक वाहनों का होगा. उन्होंने कहा कि शुरूआती स्तर पर सचिवालय में इलैक्ट्रिक वाहनों के परिचलन को बढ़ावा दिया जाएगा तथा उसके उपरांत सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में भी इनका उपयोग बढ़ाया जाएगा. इसके अलावा बजट सत्र में 200 से 300 इलैक्ट्रिक वाहनों को खरीदने का ऐलान भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार के समय में भी सी.एम. के लिए एक विद्युत चालित वाहन प्रदान किया गया था लेकिन इसे बाद में सामान्य प्रशासन को सौंप दिया गया था. उन्होंने कहा कि वाहनों की चाजग के लिए मापदंडों के अनुसार चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे तथा शुरूआती चरण में सचिवालय सहित सरकारी संस्थानों व हिमाचल सदन व भवनों में यह सुविधा प्रदान की जाएगी.
ऐसे होगा लाभ…
इलैक्ट्रिक वाहनों के कई तरह से लाभ हैं. इससे जहां पर्यावरण संरक्षण होगा, वहीं बजट भी होगा. इलैक्ट्रिक वाहन में 50 पैसे प्रति किलोमीटर खर्चा आता है, जबकि पैट्रोल के वाहन से 10 से 11 रुपए प्रति का खर्चा आता है. एक वाहन में 30 किलोवाट की बैटरी होती है जिसके चार्ज करते समय 30 यूनिट बिजली के उपयोग होते हैं. एक यूनिट बिजली की कीमत साढ़े 3 रुपए है. वहीं एक बार चार्ज करने पर वाहन 400 से 456 किलोमीटर तक चलता है.
यह है कीमत…
इलैक्ट्रिक वाहनों के बेस मॉडल की कीमत 12.50 लाख से 23.84 लाख रुपए की बीच में है. सोमवार को राज्य सचिवालय में 3 इलैक्ट्रिक वाहन टैस्ट ड्राइव के लिए आए थे. इसमें 2 टाटा तथा एक हुंडई का था. टाटा के एक वाहन की कीमत 12.50 लाख तथा दूसरे वाहन की कीमत 18.50 लाख रुपए है. इसी तरह हुंडई के वाहन की कीमत 23.84 लाख रुपए है.