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कार्टन और ट्रे के दामों में वृद्धि को लेकर तल्ख हुए बागवान, सरकार से उठाई ये मांग

किसानों व बागवानों के संगठनों के संयुक्त किसान मंच की माननीय मुख्यमंत्री के निमंत्रण पर एक बैठक सचिवालय में आयोजित की गई. जिसमें 27 संगठनों के करीब 60 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. बैठक में संयुक्त किसान मंच द्वारा सरकार को प्रेषित किये गए 20 सूत्रीय मांग पत्र पर चर्चा की

पी.चंद |

किसानों व बागवानों के संगठनों के संयुक्त किसान मंच की माननीय मुख्यमंत्री के निमंत्रण पर एक बैठक सचिवालय में आयोजित की गई. जिसमें 27 संगठनों के करीब 60 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. बैठक में संयुक्त किसान मंच द्वारा सरकार को प्रेषित किये गए 20 सूत्रीय मांग पत्र पर चर्चा की गई. बैठक में चर्चा सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई और प्रतिनिधयों द्वारा मांगपत्र में दी गई मांगों पर तर्क सहित सुझाव देकर सरकार को इन पर तुरन्त इनको लागू करने का आग्रह किया गया ताकि संकट में घिरे किसान व बागवान को कुछ राहत मिल सके.

सरकार ने माना कि किसानों व बागवानों की सभी मांगे जायज़ है और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया और आश्वासन दिया कि इनपर जल्द निर्णय लिया जाएगा. इस बैठक में संयोजक हरीश चौहान, सह संयोजक संजय चौहान के साथ संजीव ठाकुर, राजन हारटा, सोहन ठाकुर, संदीप वर्मा, सुशील चौहान, प्रताप चौहान, कुलदीप सिंह तंवर, सत्यवान, दीपक सिंघा, पूर्ण ठाकुर, देवकी नन्द, किशोरी लाल, संजय घमटा, मेहर सिंह, प्रेम कैंथला, सुरेश वर्मा, आशुतोष चौहान, कुलदीप तेगटा, राजीव चौहान, विजय राजटा, त्रिलोक मेहता, गोपाल चौहान, निहाल चंद, कैलाश मांटा आदि के साथ विधायक बलबीर वर्मा व राकेश सिंघा भी उपस्थित रहे.

बैठक के तुरन्त पश्चात सभी किसानों व बागवानों के प्रतिनिधियों ने अपनी एक बैठक की तथा इसमे निर्णय लिया कि सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर मात्र औपचारिकता की है और बैठक में सरकार द्वारा केवल मात्र आश्वासन दिया गया है. इसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि 5 अगस्त, 2022 को सभी किसान व बागवान संगठन अपनी मांगों को मनवाने के लिए सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन करेंगे. संयुक्त किसान मंच सभी किसानों व बागवानों से आग्रह करता है कि वह अपनी खेती व रोजी रोटी को बचाने के लिए इस प्रदर्शन में बढ़चढ़ कर भाग ले ताकि सरकार हमारी मांगो पर शीघ्र अमल करें.

बैठक में मांगपत्र पर चर्चा करते हुए बागवानों ने कहा कि कार्टन व ट्रे के दामों में जो वृद्धि की गई है उसे तुरन्त वापिस किया जाए. कार्टन पर GST को समाप्त किया जाए. सरकार द्वारा जो कार्टन पर GST 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत किया गया है उसे तुरन्त कम किया जाए तथा केवल HPMC व Himfed से कार्टन खरीद पर 6 प्रतिशत GST कम करने का जो निर्णय लिया है वह सभी बागवानों को चाहे वो कहीं से भी कार्टन खरीद करता है उसे भी 6 प्रतिशत GST कम कर राहत प्रदान की जाए. इसके साथ बाज़ार में कार्टन व ट्रे के दामो में भारी वृद्धि को नियंत्रित करने व इनकी गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए सरकार तुरन्त हस्तक्षेप करे.

बैठक में यह मांग भी प्राथमिकता से उठाई गई कि बागवानों को मण्डियों में उचित दाम मिले इसके लिए सरकार तुरन्त कश्मीर की तर्ज पर मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) लागू करे तथा सेब के A ग्रेड का 60 रुपए/किलो, B ग्रेड का 44 रुपए/ किलो व C ग्रेड का 24 रुपए/ किलो दिया जाए जो सरकार हिमाचल प्रदेश में केवल 10.30 रुपये/ किलो दे रही है. HPMC व Himfed के पास बागवानों का मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) का वर्षों से लंबित करोड़ों रुपए के बकाए का भुगतान तुरन्त किया जाए. सेब पर आयात शुल्क कम से कम 100 प्रतिशत करने तथा इसे मुक्त व्यापार संधि(FTA) से बाहर करने की मांग की गई.

प्रदेश की मण्डियों में किसानों व बागवानों की लूट व शोषण रोकने के लिए APMC कानून, 2005 को सख्ती से लागू किया जाए. विभिन्न मंडियों में बागवानों से छूट, लेबर, बैंक चारजिज व स्टेशनरी के नाम पर की जा रही गैर कानूनी कटौती पर तुरन्त रोक लगाई जाए. इस कानून के प्रावधान के तहत बागवानों को जिस दिन उनका माल बिक्री हो उसी दिन उनको भुगतान किया जाए तथा जो इस कानून पर अमल न करे उन दोषी आढ़तियों व खरीददारों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाए. आढ़तियों व खरीददारों के पास बागवानों के फंसे बकाया भुगतान तुरन्त करवाया जाए. मण्डियों में किसान व बागवान का उत्पाद किलो के हिसाब से बेचा जाए. प्रदेश में केवल सेब पर ही मार्किट फीस ली जा रही है उसे तुरन्त बन्द करने की मांग की गई और प्रदेश में सभी मार्किट फीस पोस्ट तुरन्त प्रभाव से बन्द किये जायें.

बैठक में खाद, कीटनाशक, फफूंदीनाशक, व अन्य लागत वस्तुओं पर सरकार ने जो सब्सिडी बन्द की है उसे तुरन्त बहाल करने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई गई तथा कृषि व बागवानी विभाग के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर उचित गुणवत्ता की वस्तुएं सब्सिडी पर सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाई जाए. आज खाद, कीटनाशक व फफूंदीनाशक की कीमतों में भारी वृद्धि की गई है जिससे आज लागत कीमत तेजी से बढ़ रही है और मंडियों में किसानों को उचित दाम नही मिल रहे हैं. एन्टी हेलनेट, स्प्रेयर, टिलर व अन्य उपकरणों पर वर्षों से लंबित सब्सिडी का तुरन्त भुगतान किया जाए.

बैठक में सरकार से मांग की गई कि जिन किसानों व बागवानों ने बैंकों से कर्ज लिया है आज कृषि व बागवानी के संकट को देखते हुए उसे मुआफ़ किया जाए तथा जिन लोगो को बैंकों ने वसूली के नोटिस दिए हैं उन पर तुरन्त रोक लगाई जाए तथा उन्हें वापिस लिया जाए.

इसके अतिरिक्त बैठक में निजी कंपनियों के CA स्टोर में सेब के दाम तय करने के लिए बागवानी विभाग, विश्विद्यालय के विशेषज्ञ व बागवानों की एक कमेटी का गठन किया जाए तथा बागवानों को सेब रखने के लिए कंपनियों के CA स्टोर में 25 प्रतिशत स्थान उपलब्ध करवाया जाए. इसके साथ किसान बागवान की सहकारी समितियों को CA स्टोर के निर्माण के लिए 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाए.

बैठक में प्रदेश में फल मण्डियों के आधुनिकीकरण व इनके विकास पर भी बल दिया गया. भट्टाकुफर, पराला, रोहड़ू व अन्य मण्डियों में जाम व अन्य समस्याओं के निदान हेतु तुरन्त सरकार द्वारा कार्य करने की मांग की गई. भट्टाकुफर मण्डी में 2 वर्ष पूर्व हुए भूस्खलन की मुरम्मत तुरन्त करने तथा पराला मण्डी में वैकल्पिक मार्ग के निर्माण को प्राथमिकता से करने की मांग की गई. इसके साथ CA स्टोरों के निर्माण व अन्य आधुनिक सुविधाओं को प्राथमिकता से उपलब्ध करवाने की मांग भी की गई.

इसके अतिरिक्त बैठक में सरकार से मांग की गई कि प्रदेश में बागवानी बोर्ड का गठन किया जाए, सड़कों व अन्य विकासात्मक परियोजनाओ के लिए जो किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है उसका 4 गुणा मुआवजा दिया जाए, सभी कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) लागू किया जाए तथा प्रदेश में इसके लिए खरीद केंद्र खोले जाए तथा मालभाड़े में की गई वृद्धि वापिस ली जाए.

प्रदेश में कृषि व बागवानी का संकट निरन्तर बढ़ रहा है. विशेष रूप से सेब की 5500 करोड़ रुपए की आर्थिकी जिसका प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है का संकट गंभीर हो रहा है. जिसके कारण आज लाखों परिवारों का रोज़ी रोटी की समस्या बढ़ रही है. सरकार की नीतियों में बदलाव से ही इस संकट से निदान पाया जा सकता है. इसलिए सभी किसानों व बागवानों को संगठित होकर इन नीतियों को पलट कर किसान व बागवानों के हित की नीतियों के लिए मिलकर संघर्ष करना पड़ेगा.