पेड़ों पर ट्री हाउस बनाकर पर्यटकों को आकर्षित करने वाले पर्यटन व्यवसायियों को झटका लगा है। क्योंकि पर्यटन विभाग इन ट्री हाउस का होम स्टे में न तो पंजीकरण करेगा और न ही लाइसेंस देगा। कारोबारियों को अब इन ट्री हाउस को होटल या फिर रेस्ट हाउस में पंजीकरण करना होगा। कुल्लू की बंजार और तीर्थन घाटी में करीब एक दर्जन के करीब ट्री हाउस हैं। इनमें से आधे संचालित हैं और आधों का निर्माण हो रहा है।
बता दें कि पर्यटकों को प्राकृतिक नजारों से अवगत करवाने के लिए पिछले एक साल से इन ट्री हाउस का चलन बढ़ रहा है। पर्यटक भी इन ट्री हाउस को काफी पसंद कर रहे हैं। इन ट्री हाउस में पर्यटकों को रूझान बढ़ता देख कारोबारियों ने ट्री हाउस बनाने पर अधिक फोकस करना शुरू कर दिया है। लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा इनका होमस्टे में पंजीकरण न किए जाने के फैसले से कारोबारियों को झटका लगा है।
गौरतलब है कि ट्री हाउस देवदार, कायल और चील के पेड़ों पर तैयार किया जाता है। इसे लकड़ी से बनाया जाता है। ट्री हाउस में बालकनी के साथ कमरा होता है जिसमें पर्यटकों को सभी प्रकार की सुविधाएं दी जाती हैं। वहीं, कारोबारी पर्यटकों से ट्री हाउस का 1500 से 2500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चार्ज करते हैं।
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