कोरोना काल में जहां अधिकतर राज्यों ने अपने स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत कर जनता को बेहतर सुविधाएं देने के कदम उठाए। वहीं, किसी समय स्वास्थ्य क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका हिमाचल इस सेक्टर में गिरता नजर आ रहा है। ये अवलोकन हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी की गई हेल्थ इंडेक्स रैंकिंग के आंकड़ों से हुआ है।
नीति आयोग की 2019-2020 की इस रैंकिंग में पाया गया कि हिमाचल छठे स्थान से फिसल कर सातवें स्थान पर आ गया है। हिमाचल ने इस रैंकिंग में 63.17 अंक लिए। ताज्जुब की बात ये है कि 2014-2015 में हिमाचल इस रैंकिंग में चौथे स्थान पर था।
आपको बता दें कि इस रैंकिग में नीति आयोग नवजात बच्चों की मृत्यु दर, पांच साल से कम बच्चों की मृत्यु दर, लिंग अनुपात, टीकाकरण, स्वास्थ्य संस्थान, टीवी के केस और उसका उपचार, एड्स संक्रमित व्यक्तियों को दी जाने वाली सुविधाएं और गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों को देखा जाता है।
प्रदेश ने लिंग अनुपात, टीकाकरण, टीवी के केस और उसका उपचार, एड्स संक्रमित व्यक्तियों को दी जाने वाली सुविधाएं और गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन के वर्ग में तो अच्छा किया है, लेकिन बच्चों की मृत्यु दर, पांच साल से कम बच्चों की मृत्यु दर और स्वास्थ्य संस्थान जैसे वर्गों में प्रदेश अभी पिछलग्गू राज्यों में से एक है।
टॉप 5 में एक भी भाजपा शासित राज्य नहीं
अगर बात सभी बड़े 19 राज्यों की करें तो केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना तक तीन पायदानों पर है। हैरानी की बात ये है कि टॉप 5 में किसी भी भाजपा शासित राज्य का नाम नहीं है। वहीं, महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार के साथ कांग्रेस किसी तरह पांचवें स्थान पर आने में सफल रही है। वहीं, बिहार और यूपी क्रमशः सबसे पिछलग्गू राज्य हैं।
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