देश भर में हींग की खेती शुरू करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है। हींग की खेती हिमाचल के साथ उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भी की जा सकेगी। हींग का व्यावसायिक उत्पादन किया जाता है तो इससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकेगी। हींग 11 हजार से 35 हजार रुपये प्रति किलो बिकती है। हिमाचल के लाहौल-स्पीति में हींग की खेती की शुरुआत हो गई है। इसके अलावा प्रदेश के किन्नौर, चंबा और सिरमौर जिले में भी हींग की खेती की व्यापक संभावनाएं हैं।
राज्य के कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने लाहौल-स्पीति में हींग के खेती का शुभारंभ किया। उन्होंने क्षेत्र के किसानों को हींग के पौधे उपलब्ध करवाए। भारतीय मसालों में हींग का अहम स्थान है। इसका स्वाद हर व्यंजन में मिलता है। भारत दुनिया के कुल हींग उत्पादन का 40 प्रतिशत अपने घरेलू उपयोग में लाता है। हींग ईरान, तुर्किस्तान और अफगानिस्तान के अलावा कजाकिस्तान से मंगवाई जाती है।
शुष्क ठंडी मरु भूमि में पैदा होता है हींग का पौधा
हींग का पौधा शुष्क ठंडी मरु भूमि में पैदा होता है, जो मुख्यतया ईरान, तुर्की, कजाकिस्तान, रूस, सीरिया और अफगानिस्तान के ठंडे क्षेत्रों में उगती है। भारत हींग के लिए पूरी तरह इन्हीं देशों पर निर्भर है।
आयात करने के लिए आता है कई हजार करोड़ खर्च
इसे आयात करने के लिए कई हजार करोड़ खर्च करता है। हींग का प्रथम बीज भारत में मंगवाने वाले वाणिज्यिक फसलों पर पिछले 17 वर्षों से शोध में लगे डॉ. विक्रम शर्मा ने बताया कि हींग के लिए हमारे देश में पर्वतीय क्षेत्रों में हिमालयी क्षेत्र अति उपयुक्त हैं। डॉ. विक्रम शर्मा प्रदेश में कॉफी के पौधों के सफल परीक्षण और प्रसार के लिए भी जाने जाते हैं। वे इस समय केंद्रीय कॉफी बोर्ड, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के निदेशक भी हैं।
उन्होंने पिछले वर्ष मुश्किल से हींग का बीज ईरान से हासिल किया था। इसके बाद तुर्की और अफगानिस्तान से भी बीज हासिल किया। इसे प्रायोगिक तौर पर लगाने को केंद्र और प्रदेश सरकार से आग्रह कर रहे थे। पिछले दिनों उन्हें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुलाया था।