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हिमाचल की बहादुर बेटी कंगना ने एक बार फिर साहस से घोषणा करके सबको चौंकाया: शांता

मृत्युंजय पुरी |

बीजेपी के वरिष्ठ नेता एंव प्रदेश के पूर्व मंख्यमंत्री शांता कुमार ने अभिनेत्री कंगना रनौत को उनके साहस भरी घोषणा के लिए बधाई दी है। शांता ने कहा कि हिमाचल की बहादुर बेटी कंगना रनौत ने एक बार फिर से बड़े साहस की घोषणा करके सबको चौंका दिया है। कुछ लोगों ने उन पर आरोप लगाया था कि वे एक विशेष एजेंडा से काम कर रही है। इसपर कंगना ने ट्वीट किया है-" हां मेरा एजेंडा है- राष्ट्रवाद- राष्ट्रवाद- राष्ट्रवाद। शांता ने कहा कि फिल्म जगत के एक कलाकार से ऐसी आशा कभी कोई नहीं कर सकता था। कंगना ने सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले पर भी सबसे पहले और सबसे अधिक बेवाक टिप्पणी की थी। और आज उस केस की जांच सीबीआई कर रही है।

शांता ने कहा कि राष्ट्रवाद भारत का प्राण है, आत्मा है और सनातन धरोहर है। भारत का राष्ट्रवाद केवल भौगोलिक नहीं सांस्कृति है। इसकी सबसे पहली घोषणा किसी व्यक्ति या पार्टी ने नहीं की स्वंय प्रभु राम ने की थी। बाल्मिकी रामायण के अनुसार जब प्रभु राम ने लंका जीत ली। रावण का बध हो गया तो लक्ष्मण ने कहा- भइया अब सोने की लंका हमारी है। अयोध्या जाने की क्या जरूरत है। यहीं राज्य करते हैं। उस पर प्रभु राम ने कहा था- 'जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात अपनी मातृभूमि स्वर्ग से भी अच्छी होती है। यही है भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद।

उन्होंने कहा कि भारत का सांस्कृति राष्ट्रवाद मानवतावादी रहा। इसलिए हजारों वर्ष पहले भारत के ऋषियों ने घोषणा की थी- "वसुधैव कुटुम्बकम" अर्थात पूरा विश्व एक परिवार है। यही कारण है कि शक्ति संपन्न होने के बाद भी भारत ने विश्व भर में जाकर कभी किसी को सताया नहीं। कहीं अधिकार नहीं किया। केवल मानवता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें एक बार थाईलैंड जाने का अवसर मिला था। वहां की सांस्कृति में हिंदुत्व है। वहां के लोगों ने अयोध्या नाम से एक नगर भी बसाया है। भारत की समाजवादी, साम्यवादी और तथा कथित सैकूलरवादी दुर्भाग्य से इस महना सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को समज नहीं सकें। इसलिए वे राष्ट्रवाद का विरोध करते हैं।