हिमाचल

हिमाचली संगीत के महानायक प्रो. नंद लाल गर्ग का निधन

  • प्रोफेसर नंद लाल गर्ग का निधन: हिमाचल प्रदेश के शास्त्रीय संगीत और लोक कला के महानायक ने 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली।

  • अतुलनीय योगदान: हिमाचली संस्कृति, संगीत, और लोक परंपराओं को संरक्षित और प्रचारित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

  • राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित: 2023 में संगीत नाटक अकादमी का प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किया।


Prof. Nand Lal Garg Passes Away: हिमाचल प्रदेश के सांस्कृतिक और संगीत जगत के अद्वितीय स्तंभ, प्रोफेसर नंद लाल गर्ग का 92 वर्ष की आयु में शिमला में निधन हो गया। उनके निधन से न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि संपूर्ण सांस्कृतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रोफेसर गर्ग एक प्रख्यात शास्त्रीय संगीतकार, लोक कलाकार और लेखक थे, जिन्होंने हिमाचली संगीत और संस्कृति को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया।

प्रोफेसर गर्ग शिमला के प्रसिद्ध ‘धामी घराना’ के वंशज थे। उनकी संगीत साधना पर इस घराने का गहरा प्रभाव रहा। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संजोया, बल्कि इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान शास्त्रीय संगीत से लेकर हिमाचली लोक परंपराओं तक व्यापक रूप से फैला था।

2023 में, प्रोफेसर गर्ग को संगीत नाटक अकादमी द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके जीवन भर की सांस्कृतिक सेवाओं का प्रतीक था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में संगीत शिक्षा की नींव रखी और अनेक छात्रों को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित किया।

प्रोफेसर गर्ग ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन शिमला के पायनियर कलाकारों में से एक थे। उन्होंने क्षेत्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इसके अलावा, वह एक प्रसिद्ध लेखक भी थे और हिमाचल प्रदेश की संगीत और कला संस्कृति पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। उनकी पुस्तकें और डॉक्यूमेंटरी भारत सरकार द्वारा सराही गईं और उन्होंने हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया।

प्रोफेसर गर्ग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक नीतियों के संरक्षक रहे। यूनेस्को जैसी संस्थाओं से जुड़े रहकर उन्होंने हिमाचली संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।

उनका निधन हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। हालांकि, उनका योगदान हमेशा जीवित रहेगा और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

Akhilesh Mahajan

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