अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग मनीषा नंदा ने सोमवार को बताया कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने प्रदेश के दो राष्ट्रीय उच्च मार्गों को डबललेन करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु विश्व बैंक को प्रस्तावित किया है।
उन्होंने कहा कि इन राष्ट्रीय उच्च मार्गां में राष्ट्रीय उच्च मार्ग 70 के हमीरपुर-मंडी (नया राष्ट्रीय उच्च मार्ग-03) की लम्बाई 124 किलोमीटर जबकि, राष्ट्रीय उच्च मार्ग 72बी (नया राष्ट्रीय उच्च मार्ग-707) पांवटा साहिब-गुम्मा राष्ट्रीय उच्च मार्ग की लम्बाई 97 किलोमीटर है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुसार इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत क्रमश 909.81 करोड़ रुपये और 779.10 करोड़ रुपये है।
उन्होंने बताया कि विश्व बैंक मिशन जो प्रदेश के दौरे पर हैं, ने इन सड़कों का निरीक्षण करेगा तथा राज्य सरकार के पदाधिकारियों के साथ इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर चर्चा करेगा।
मनीषा नंदा ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से विश्व बैंक ने हिमाचल प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसफॉरमेशन कार्यक्रम (एचपीआरआईडीसी ) के द्वितीय चरण को भी स्वीकृति प्रदान की है, 770 करोड़ रुपये की लागत की इस परियोजना कार्यान्वयन हिमाचल प्रदेश सड़क और अन्य अधोसंरचना विकास निगम करेगा।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने केन्द्रीय आर्थिक मामले मंत्रालय और केन्द्रीय वित्त मंत्री का इस परियोजना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त किया और विश्वास दिलाया कि राज्य सरकार एचपीआरआईडीसी परियोजना के कार्यान्वयन के लिए वचनबद्ध है। इस योजना के तहत राज्य में 650 किलोमीटर सड़कों को तीन ट्रेंचों में डब्बललेन मानकों के अनुसार स्तरोन्नत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 350 किलोमीटर लम्बी सड़कों को समयबद्ध रखरखाव किया जाएगा तथा इसके अन्तर्गत 3800 करोड़ रुपये का कुल लागत आएगी।
मनीषा नन्दा ने कहा कि विश्व बैंक वित्त पोषित हिमाचल प्रदेश राज्य सड़क परियोजना चरण-1 जो वर्ष 2007 में आरम्भ हुआ था, 30 जून, 2017 को पूरा हुआ है। इसके तहत 435 किलोमीटर लम्बी 10 सड़कें स्तरोन्नत/डबललेन की गई। केवल मात्र एक सड़क ठियोग-कोटखाई-हाटकोटी-रोहड़ू का सितम्बर, 2018 में ठेकेदार के बार-बार घटिया प्रदर्शन के कारण ठेकेदार से अनुबंध को समाप्त किया गया।
इसके अतिरिक्त 1485 किलोमीटर लम्बी 74 सड़कों का समय-समय पर रख-रखाव किया गया। 25 ब्लेक स्पोटों का सुधार किया गया तथा पायलट आधार पर दीर्घकालीन तथा प्रदर्शन आधारित रखरखाव के तहत 347 किलोमीटर लम्बी कोर सड़कों में सुधार किया गया। 2298 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली इस योजना पर 1620 करोड़ रुपये विश्व बैंक से ऋण तथा 678 करोड़ रुपये राज्य सरकार का हिस्सा था।