भारत चमत्कारों का देश माना जाता है। यहां पर कई जगह ऐसी हैं, जहां पर देश-विदेश से टूरिस्ट यहां का इतिहास जानने आते हैं। महाभारत और रामायण काल की ऐसी ही कई जगह हैं, जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। इन जगहों से जुड़ी हुई कई कहानियां हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसकी कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है। हिमाचल में कांगड़ा जिले में कुछ ऐसे मंदिर हैं, जो साल के आठ महीने पानी में डूबे रहते हैं। ऐसा यहां स्थित पोंग बांध के कारण होता है, जिसका पानी चढ़ता-उतरता रहता है।
‘बाथू की लड़ी’ कहलाते हैं ये मंदिर
पोंग बांध के महाराणा प्रताप सागर झील में डूबे इन मंदिरों को बाथू मंदिर के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोग इसे ‘बाथू की लड़ी’ कहते हैं। ये मंदिर 70 के दशक में इस बांध के पानी में डूब गए थे। ये मंदिर गर्मी के मौसम में केवल चार महीनों के लिए बांध का जलस्तर कम होने पर पहुंचने योग्य होते हैं। साल के बाकी आठ महीने ये पानी में डूबे रहते हैं, जहां केवल नाव से ही पहुंचा जा सकता है।
पांडव बनवाना चाहते थे स्वर्ग की सीढ़ी
इन मंदिरों के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इन्हें महाभारत काल में पांडवों ने बनवाया था। कहते हैं, पांडवों ने यहां स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ी बनवाने का भी प्रयास किया था, जो कि अधूरी रह गई। इन मंदिरों को पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान केवल एक रात में बनवा डाले थे। वर्तमान में इन मंदिरों को देखने के लिए यहां हर साल हजारों टूरिस्ट पहुंचते हैं।