शिक्षकों की पेशेवर छवि को सशक्त करने की पहल
ड्रेस कोड पूरी तरह स्वैच्छिक, स्कूलों पर कोई बाध्यता नहीं
शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को भेजा परामर्श पत्र
शिमला, पराक्रम चंद: हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड संबंधी एक परामर्श जारी किया है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों में अनुशासन, गरिमा और पेशेवर छवि को बढ़ावा देना है। यह ड्रेस कोड अनिवार्य नहीं, बल्कि पूरी तरह से स्वैच्छिक है, जिसे स्कूल प्रशासन अपनी स्वेच्छा से लागू कर सकते हैं। इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से 17 अप्रैल 2025 को एक परिपत्र जारी किया गया, जिसे संयुक्त सचिव (शिक्षा) सुनील वर्मा ने हस्ताक्षरित किया है।
परामर्श में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल यदि चाहें तो इस ड्रेस कोड को अपनाएं, लेकिन इसके लिए किसी प्रकार का दवाब नहीं बनाया जाएगा। शिक्षा सचिवालय से जारी निर्देश के अनुसार, यह निर्णय स्कूल प्रबंधन की सहमति और स्थानीय जरूरतों के अनुरूप होना चाहिए। परिपत्र में सभी उप-निदेशकों (हायर और एलीमेंट्री एजुकेशन) को यह सलाह संबंधित स्कूलों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि सभी शिक्षक इस परामर्श से अवगत हो सकें।
इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों की एकरूपता, अनुशासन और विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणादायक छवि तैयार करना है। शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि यदि किसी स्कूल में यह ड्रेस कोड लागू किया जाता है, तो वह स्कूल के आंतरिक निर्णय का हिस्सा माना जाएगा। किसी भी शिक्षक पर इसे अपनाने के लिए बाध्यता नहीं होगी।
इस परामर्श को “संस्थागत गरिमा को बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक पहल” बताया गया है, जिसे भविष्य में व्यापक विचार-विमर्श के आधार पर और स्पष्ट किया जा सकता है। फिलहाल यह केवल एक दिशा-निर्देश है और इसकी पालना स्कूलों की स्वेच्छा पर निर्भर करती है।