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जिला परिषद और पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन को लेकर किया संशोधन खारिज, असांविधानिक दिया करार

➤ जिला परिषद व पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन पर किया संशोधन हाई कोर्ट ने असांविधानिक करार दिया
➤ 8 जनवरी से 31 मई तक जारी सभी अधिसूचनाएं रद्द, मंडलायुक्त का आदेश भी खारिज
➤ अदालत ने कहा—संशोधन संवैधानिक प्रावधानों व परिसीमन के उद्देश्य के विपरीत


हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पंचायती राज अधिनियम में जिला परिषद और पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन को लेकर किए गए संशोधन को असांविधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया है। अदालत ने इस संशोधन के आधार पर 8 जनवरी, 15 फरवरी, 1, 17 और 31 मई 2025 को जारी सभी अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया है और सरकार व सक्षम प्राधिकारी को कानून के अनुसार आगे की कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने पाया कि नियम 9(2) में किया गया संशोधन पंचायती राज अधिनियम और अनुच्छेद 243-सी की मूल भावना के विपरीत है। कोर्ट ने कहा कि यह संशोधन क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य को कमजोर करता है और अधिनियम की धारा 89 का भी उल्लंघन करता है।

अदालत ने शिमला मंडलायुक्त द्वारा 24 जून 2025 को जारी आदेश को भी रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आदेश में कई तथ्य दर्ज किए गए हैं जो रिकॉर्ड में मौजूद ही नहीं थे, और बिना याचिकाकर्ता की आपत्तियों पर निर्णय दिए आदेश पारित किया गया।

खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि पंचायत चुनाव की तारीख घोषित नहीं हुई है और तत्काल चुनाव की कोई संभावना नहीं है, फिर भी सरकार पंचायतों व स्थानीय निकायों के पुनर्गठन और परिसीमन के निर्णय ले रही है, जिससे चुनावी सीमाओं में बदलाव हो रहा है। इसे कोर्ट ने गंभीर माना।

अदालत ने राज्य चुनाव आयोग और प्रदेश सरकार के बीच चल रही रस्साकसी का भी उल्लेख किया। आयोग ने 17 नवंबर 2025 को अधिसूचना जारी कर आदर्श आचार संहिता 2020 के खंड 12(1) को लागू किया था, जिसमें चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक क्षेत्रीय बदलाव पर रोक है। इसके बावजूद 28 नवंबर को ग्रामीण विकास विभाग ने हमीरपुर जिला में विकास खंडों का पुनर्गठन कर दिया।

याचिकाकर्ता ने नियम 9(2) में संशोधन को चुनौती देते हुए इसे असांविधानिक बताया और मांग की थी कि संशोधन तथा बाद में जारी सभी अधिसूचनाएं निरस्त की जाएं। उनका तर्क था कि संशोधित नियम के अनुसार परिसीमन के लिए पंचायत समिति क्षेत्र को एक इकाई माना गया है, जबकि जिला परिषद वार्ड पंचायत समिति की सीमा का उल्लंघन नहीं कर सकते—जो अधिनियम के विपरीत है।