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HP Vidhansabha: पारित नहीं हो पाया धारा 118 में संशोधन का विधेयक, जानिए वजह

➤ भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक 2025 सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया
➤ ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक लीज को धारा 118 से बाहर करने का प्रस्ताव
➤ बजट सत्र में कमेटी की रिपोर्ट के बाद फिर पेश होगा विधेयक


हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश भू अभिधृति एवं भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक 2025 पर लंबी चर्चा हुई, लेकिन विधेयक को आज पास नहीं किया गया। विपक्ष ने प्रस्ताव रखा कि इस विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए, जिस पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सहमति व्यक्त की।

चर्चा के बाद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने विधेयक को प्रवर समिति (Select Committee) को भेजने की घोषणा की। अब दोनों पक्षों के विधायक समिति का हिस्सा होंगे और राजस्व मंत्री अधिसूचना जारी कर समिति का गठन करेंगे। इसके बाद बजट सत्र में समिति की टिप्पणी और ऑब्ज़र्वेशन के आधार पर यह विधेयक दोबारा सदन में पेश होगा।

इससे पहले मंगलवार को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने यह विधेयक सदन में प्रस्तुत किया था। यह वर्ष 1972 के अधिनियम की धारा 118 में संशोधन के लिए लाया गया है। प्रस्तावित बदलाव के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक कार्यों के लिए भवन या भवन के हिस्से को 10 वर्ष तक लीज पर देने को धारा 118 की पाबंदियों से बाहर रखा जाएगा।

अगर संशोधन लागू होता है तो ग्रामीण क्षेत्रों में गैर कृषकों को भी 10 साल तक भवन लीज/किराये पर देने के लिए किसी तरह की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। इसका उद्देश्य छोटे व्यवसाय, स्टार्टअप, दुकानों और ग्रामीण पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देना है।

इसके अतिरिक्त 118(2)(E) में संशोधन के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य/केंद्र सरकार, सरकारी कंपनियों और वैधानिक निकायों द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत अधिग्रहीत भूमि को इस अधिनियम की पाबंदियों से छूट प्राप्त होगी। पहले यह प्रावधान अस्पष्ट था, जिसे अब स्पष्ट किया जा रहा है।

राजस्व मंत्री के अनुसार धारा 118 की मूल भावना—स्थानीय कृषकों की जमीन की सुरक्षा—को बनाए रखते हुए आर्थिक गतिविधियों में लचीलापन लाना इसका मुख्य उद्देश्य है।